Muharram ke mahine mein kis bujurg ka urs kis mahine mein hota hai? – माहे मुहर्रम मुबारक हो, इस्लामी नया साल मुबारक!
माहे मुर्रम को मुहर्रमुल हराम क्यों? कहते हैं :- मुहर्रम लफ्ज़ “हुरमत” से बना है यानी ताज़ीम अहले अरब यानि अरब के रहने वाले इस महीने की बहुत ताज़ीम करते थे और इस में लड़ाई झगड़ा और फसाद से दूर रहते थे, और दूसरी वजह ये भी है के अहले अरब यानि अरब के रहने वाले लोग इस माहे मुबारक में जंग व क़िताल क़त्ल को हराम समझते थे |
जैसा के हज़रत शैख़ इस्माईल हक़्क़ी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं इस महीने में जिंदाल व क़िताल हराम है फिर ये अम्बिया का महीना है और साल का पहला महीना है और हुरमत वाले महीनो में से एक है | जैसा के अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इरशाद फरमाता है |
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तर्जुमाए कंज़ुल ईमान :- बेशक महीनो की गिनती अल्लाह के नज़दीक बारह 12, महीने हैं अल्लाह की किताब में जब से उस ने आसमानो और ज़मीनो को बनाया उन से चार हुरमत वाले हैं |
हुरमत वाले महीने :- हकीमुल उम्मत हज़रत अल्लामा मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैह मज़कूरा आयते मुबारिक की तफ़्सीर में लिखते हैं के “कुफ्फार अरब मुहतरम महीनो यानि रजब, ज़िल कदा, ज़िल हिज्जा, और मुहर्रम के बड़े मुअतकिद थे और उस ज़माने में जंग हराम समाहजते थे लेकिन कभी अगर दौरान जंग ये महीने आ जाते तो उन्हें नागवार गुज़रता इस लिए मुरर्रम को सफर और बजाए उसके सफर को मुहर्रम बना लेते या जब कभी हुरमत को मिटाने की ज़रुरत महसूस करते तो ऐसे ही महीनो का ताबादिला कर लेते थे इस तरह तेहरीम के महीने साल में गर्दिश करते रहते थे | (तफ़्सीर नूरुल इरफ़ान)
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इस मुबारक महीने में “आशूरा” :- है और यौमे शहादत है माहे मुहर्रम के इब्तिदाई यानि शरू के 10 दिन बहुत ही अफ़ज़ल हैं इन दिनों में ज़्यादा से ज़्यादा नेकी करके रब तआला को राज़ी करने की कोशिश करें |
माहे मुहर्रम की पहली शब् में (चाँद रात को) बाद नमाज़े ईशा (8) रकअत नफ़्ल नमाज़ 2,
2, करके पढ़ें | हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद 11 मर्तबा सूरह इखलास पढ़ें (4) रकअत नफ़्ल नमाज़ 2, 2, करके पढ़ें | हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद 11 मर्तबा सूरह इखलास पढ़े फिर यह दुआ पढ़ें | “सुब्बू हुन क़ुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकती वर रूह” पहली शब् से लेकर (10) वी शबे “आशूरा” तक बाद नमाज़े ईशा 100 मर्तबा कलमए तौहीद पढ़ें | रोज़ कसरत से दुरूद शरीफ पढ़ें | माहे मुहर्रम में और ख़ुसूसन आशूरा के यानी 9 और 10 मुहर्रम या 10 और 11 मुहर्रम को रोज़ा रखें |
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हदीसे नबवी :- हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के जो माहे मुहर्रम में रोज़े रखे उसे हर रोज़े के बदले में 30 रोज़ो का सवाब मिलेगा | (अत-तरग़ीब वत-तरहीब, जिल्द 2)
हदीसे नबवी :- हज़रते अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है की हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के रमज़ान के रोज़े बाद सब रोज़ों में अफ़ज़ल मुहर्रम के रोज़े हैं जो अल्लाह का महीना है और नमाज़े फ़र्ज़ के बाद अफ़ज़ल तहज्जुद की नमाज़ है | (सही मुस्लिम,जिल्द, 3)
“माहे मुहर्रम के ख़ास दिन”
Buzurgane Deen | Wisaal | Mazaar Location |
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हज़रत शैख़ अबुल हसन अली हक्कारी रहमतुल्लाह अलैह | 1 मुहर्रम | बगदाद, इराक |
हज़रत सय्यद आले रसूल हसनैन मियां उर्फ़ नज़्मी मियां बरकाती | 1 मुहर्रम | मारहरा, उत्तर प्रदेश |
मारूफ करखि रहमतुल्लाह अलैह | 2 मुहर्रम | बगदाद, इराक |
हज़रत शैख़ ख़्वाजा बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर रहमतुल्लाह अलैह | 5 मुहर्रम | पाकपट्टन पाकिस्तान) |
हज़रत ख़्वाजा अहमद मेरावी रहमतुल्लाह अलैह | 5 मुहर्रम | मीरा पाकिस्तान) |
हज़रत शाह अब्दुल्लाह हुसैनी क़ादरी शत्तारी रहमतुल्लाह अलैह | 6 मुहर्रम | अहमदाबाद,गुजरात |
हज़रत शाह ख़्वाजा फ़ुज़ैल बिन अयाज़ रहमतुल्लाह अलैह | 7 मुहर्रम | बगदाद, इराक |
हज़रत ख़्वाजा आफ़ाक़ शाह देहलवी रहमतुल्लाह अलैह | 7 मुहर्रम | दिल्ली |
हज़रत मौलाना हशमत अली खान रहमतुल्लाह अलैह | 8 मुहर्रम | पीलीभीत, उत्तर प्रदेश |
हज़रत इमाम शैख़ क़ासिम बिन मुहम्मद रहमतुल्लाह अलैह | 9 मुहर्रम | मदीना मुनव्वरा |
हज़रत अली बिन मुहम्मद अल अत्तास रहमतुल्लाह अलैह | 9 मुहर्रम | यमन |
हज़रत सय्यद मुज़फ्फर शाह कश्मीरी रहमतुल्लाह अलैह | 9 मुहर्रम | |
हज़रत ख़्वाजा मोहम्मद नक़्शबंद सिरहिंदी रहमतुल्लाह अलैह | 9 मुहर्रम | सरहिंद, पंजाब |
हज़रत शम्सुद्दीन मिर्ज़ा मज़हर जाने जानां रहमतुल्लाह अलैह | 9 मुहर्रम | दिल्ली |
यौमे शहादत हज़रत इमाम हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु | 10 मुहर्रम | कर्बला इराक |
हज़रत ख़्वाजा बिशर हाफी रहमतुल्लाह अलैह | 10 मुहर्रम | बगदाद, इराक |
हज़रत सय्यदा उम्मुल खैर फातिमा रहमतुल्लाह अलैह | 10 मुहर्रम | जीलन ईरान |
हज़रत ख़्वाजा अबुल हसन ख़रक़ानी रहमतुल्लाह अलैह | 10 मुहर्रम | ख़रक़ान ईरान |
हज़रत सय्यद शाह बरकतुल्लाह रहमतुल्लाह अलैह | 10 मुहर्रम | मारहरा, उत्तर प्रदेश |
हज़रत अखुंद हाफ़िज़ अब्दुल अज़ीज़ देहलवी रहमतुल्लाह अलैह | 10 मुहर्रम | दिल्ली |
हज़रत ख़्वाजा सय्यद मुम्शाद दिनोरि रहमतुल्लाह अलैह | 14 मुहर्रम | दिनवार ईरान |
हज़रत सय्यद शाह हम्ज़ा बरकाती रहमतुल्लाह अलैह | 14 मुहर्रम | मारहरा, उत्तर प्रदेश |
हुज़ूर मुफ़्तीए आज़मे हिन्द मुस्तफा रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह | 14 मुहर्रम | बरैली, उत्तर प्रदेश |
हज़रत शैख़ सय्यद अब्दुल फ़त्ताह अस्करी क़ादरी रहमतुल्लाह अलैह | 14 मुहर्रम | अहमदाबाद, गुजरात |
हज़रत मोहम्मद अशफ़ाक़ अहमद रज़वी रहमतुल्लाह अलैह | 15 मुहर्रम | पाकिस्तान |
हज़रत सूफी सुलतान मोहम्मद नक्शबंदी उर्फ़ मौलाना बाबा रहमतुल्लाह अलैह | 15 मुहर्रम | मुंबई महाराष्ट्र |
हज़रत रबी बिन सबीह उर्फ़ सवाई पीर रहमतुल्लाह अलैह | 16 मुहर्रम | सवाई बेट, गुजरात |
हज़रत इमाम सय्यद ज़ैनुल आबिदीन रहमतुल्लाह अलैह | 18 मुहर्रम | मदीना मुनव्वरा |
हज़रत मखदूम शाह सफी अब्दुस समद रहमतुल्लाह अलैह | 18 मुहर्रम | सफीपुर, उत्तर प्रदेश |
हज़रत नज़ीरूल अकरम रहमतुल्लाह अलैह | 18 मुहर्रम | मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश |
हज़रत सय्यद मोहीयुद्दीन अहमद क़ादरी जिलानी रहमतुल्लाह अलैह | 19 मुहर्रम | बगदाद इराक |
हज़रत ख़्वाजा दुरवेश मुहम्मद बुखारी रहमतुल्लाह अलैह | 19 मुहर्रम | उज़्बेकिस्तान |
हज़रत बाबा तवक्कल चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह | 19 मुहर्रम | अहमदाबाद, गुजरात |
हज़रत बाबा क़ासिम उर्फ़ दादा पीर रहमतुल्लाह अलैह | 19 मुहर्रम | अहमदाबाद गुजरात |
हज़रत बिलाल हबशी रदियल्लाहु तआला अन्हु | 20 मुहर्रम | दमिश्क़ सीरिया |
हज़रत शाह वलीउल्लाह मोहद्दीस देहलवी रहमतुल्लाह अलैह | 20 मुहर्रम | दिल्ली |
हज़रत सय्यद शम्सुद्दीन क़ादरी उर्फ़ नाना पीर रहमतुल्लाह अलैह | 22 मुहर्रम | बिदर, कर्नाटक |
हज़रत सय्यद बाबा ताजुद्दीन मोहम्मद रहमतुल्लाह अलैह | 26 मुहर्रम | नागपुर, महाराष्ट्र |
हज़रत सय्यद साहिब हुसैनी क़ादरी रहमतुल्लाह अलैह | 26 मुहर्रम | टेक्मल, तेलंगाना |
हज़रत अमीने शरीअत हज़रत सिब्तैन रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह | 26 मुहर्रम | बरैली, उत्तर प्रदेश |
हज़रत शैख़ अबू मदयन शोएब मग़रिबी रहमतुल्लाह अलैह | 28 मुहर्रम | (तलेमें, अल्जीरिया |
हज़रत मखदूम सय्यद अशरफ जहांगीर सिमनानी रहमतुल्लाह अलैह | 28 मुहर्रम | किछौछा उत्तर प्रदेश |
हज़रत सय्यद शाह वजीहुद्दीन अहमद अल्वी गुजराती रहमतुल्लाह अलैह | 28 मुहर्रम | अहमदाबाद, गुजरात |
हज़रत सय्यद मुहम्मद अल दनदारावी रहमतुल्लाह अलैह | 29 मुहर्रम | मदीना मुनव्वरा |
हज़रत सय्यद मीराँ अली दातार रहमतुल्लाह अलैह | 30 मुहर्रम | उनावा, गुजरात |
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नोट :- कुछ लोग ये मानते हैं के कर्बला में इमामे आली मक़ाम सिब्ते रसूल हज़रत हुसैन इबने अली रदियल्लाहु तआला अन्हु और अहले बैत और आप के जां निसार साथियों की शहादत हुई है | इस लिए इस महीने की मुबारक बाद नहीं देना चाहिए | मगर याद रखें के इमाम हुसैन और आप के वफादार साथियों ने इस्लाम की हिफाज़त के लिए दुश्मनाने इस्लाम से जंग कर के हर ज़ुल्म सहकर अपनी जान की क़ुर्बानी पेश की है | हमे इन के एहसान याद करके सही तरीके से इन की याद मनाते रहना है और उन के दरस को याद रख कर इस्लाम की अज़मत और वक़ार को बुलंद रखने के लिए जब भी ज़रुरत पड़े तब क़ुर्बानी देने का जज़्बा पैदा करना है और ख़िलाफ़े शरीअत कोई भी अमल नहीं करना है |
खुद भी सही इल्मे दीन सीखो और दूसरे को भी नरमी के साथ सिखाओ | सुन्नतों को अपनाओ और बुरी बिद अतो से और फ़ुज़ूल खर्ची से बचते रहो |
ज़िक्रे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु की महफ़िल में इश्क़ो अदब के साथ शिरकत करो | और नमाज़, रोज़ा, तिलावते क़ुरआन, ज़िक्रो दुरूद, खैरात, न्याज़ वगैरह करके इन हज़रात को इसाले सवाब करते रहो |
अल्लाह तआला इस माहे मुबारक में उस के हबीब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदक़े में और अहले बैत और तमाम औलिया अल्लाह के वसीले से सब को मुकम्मल इश्क़े रसूल अता फरमाए और सब को हिदायत अता फरमाए और सब के ईमान की हिफाज़त फरमाए और सही तरीके से ज़्यादा इबादत करने की और गुनाहो से और बुरी बिदअतो से बचने की तौफ़ीक़ अता फरमाए और हमारे नेक अमल क़ुबूल फरमाए | और इमामे हुसैन रदियल्लाहु तआला अन्हु और शोहदा की याद सही तरीके से मनाने की और इन बुज़ुर्गाने दीन को इसाले सवाब करने की तौफ़ीक़ अता फरमाए | और इस्लाम का बोल बाला अता फरमाए | और सब को दुनिया व आख़िरत में कामयाबी और इज़्ज़त अता फरमाए और सब की नेक जाइज़ मुरादों को पूरी फरमाए | “आमीन”
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