कमाल व खूबी वाला कौन होता है :- हक़ीक़त में कमाल व खूबी वाला वो शख्स है जो दूसरों को भी कमाल व खूबी वाला बना दे तो हमारे आक़ा व मौला जनाबे अहमदे मुज्तबा मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हक़ीक़त में कमाल व खूबी वाले हैं | जिन्होंने बेशुमार लोगों को कमाल व खूबी वाला बना दिया और उनका ये फैज़ हमेशा जारी रहेगा क़यामत तक अपने जांनिसारों को कमाल व खूबी वाला बनाते रहेंगें |
और प्यारे मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिन लोगों को कमाल व खूबी वाला बना दिया इन में से एक मशहूर व माअरूफ़ अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना “उमर फ़ारूक़े आज़म” रदियल्लाहु अन्हु हैं जो के अफज़लुल बशर बादल अम्बिया हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के बाद तमाम सहाबा रदियल्लाहु तआला अन्हुम में “आप सब से अफ़ज़ल हैं”

आप का नाम व नसब :- आप का नाम “उमर” रदियल्लाहु अन्हु है | कुन्नियत “अबू हफ्स” और लक़ब “फ़ारूक़े आज़म” है | आप के वालिद का नाम “खत्ताब” और माँ का नाम “हंतमा” है जो हिशाम बिन मुग़ीरा की बेटी यानि अबू जाहिल की बहिन है |
आठ वि पुश्त में आप का शजरए नसब सरकारे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के “खानदानी शजराह से मिलता है आप वाक़िए फील के तेहराह (13) साल बाद पैदा हुए | (सीयर आलामुन नुब्ला, तारीखे मदीना दमिश्क़)

Read this also हज़रत शैख़ बहाउद्दीन शत्तारी रहमतुल्लाह अलैह की हालाते ज़िन्दगी 

आपका मज़हबे इस्लाम क़बूल करना :- हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु नुबुव्वत के छटे साल सत्ताईस (27) बरस की उमर में इस्लाम से मुशर्रफ हुए यानि आपने इस्लाम क़बूल किया | हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु ने उस वक़्त इस्लाम क़बूल फ़रमाया जबके चालीस (40) मर्द और ग्यारह (11) औरतें इमाम ला चुकी थीं | और बाज़ उलमा का ख्याल है के आपने उन्तालीस (39 ) मर्द और तेईस (23) औरतों के बाद इस्लाम क़बूल किया | (तारीख़ुल खुलफ़ा)

उमर से इस्लाम को इज़्ज़त दे :- तिरमिज़ी शरीफ की हदीस है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुआ फरमाते थे | या अल्लाह उमर बिन खत्ताब और अबू जाहिल बिन हिशाम में जो तुझे प्यारा हो उसे तू इस्लाम को इज़्ज़त अता फरमा |
और हाकिम की रिवायत में हज़रत इबने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा से है के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस तरह दुआ फ़रमाई “या अल्लाह खास तौर से उमर बिन खत्ताब को मुस्लमान बना कर इस्लाम को इज़्ज़त व क़ुव्वत ताक़त अता फरमा | तो अल्लाह के मेहबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ये दुआ बारगाहे इलाही में मक़बूल हो गई और हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु इस्लाम से मुशर्रफ हो गए |

Read this also सहाबिये रसूल हज़रत अमीर मुआविया के बारे में कैसा अक़ीदा रखना चाहिए? और आपकी 

आप के इस्लाम क़बूल करने का वाक़िआ :- दिन बदिन मुसलमानो की तादाद बढ़ते हुए देख कर एक रोज़ कुफ्फारे मक्का जमा हुए और सब ने ये तय किया के रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क़त्ल कर दिया जाए | मआज़ अल्लाह रब्बिल आलमीन मगर सवाल पैदा हुआ के कौन क़त्ल करे? मजमे में ऐलान हुआ के, है कोई बहादुर जो मुहम्मद को क़त्ल कर दे सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम | इस ऐलान पर पूरा मजमा तो खामोश रहा मगर हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु ने कहा के में उनको क़त्ल कर दूंगा लोगों ने कहा बेशक तुम ही उनको क़त्ल कर सकते हो |
फिर हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु उठे और तलवार लटकाए हुए चल दिए | इसी ख्याल में जा रहे थे के एक साहब क़बीला ज़ोहरा के जिनका नाम हज़रत नईम बिन अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु बताया जाता है और बाज़ लोगों ने दूसरों का नाम लिखा है | बेहरेहाल उन्होंने पूछा के ऐ उमर कहाँ जा रहे हो? कहा के मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को क़त्ल करने जा रहा हूँ | हज़रत नईम रदियल्लाहु अन्हु ने कहा के इस क़त्ल के बाद तुम बनी हाशिम और बनी ज़ोहरा से किस तरह बच सकोगे | वो तुम्हे इस क़त्ल के बदले में क़त्ल कर देंगें | इस बात को सुनकर वो बिगड़ गए और कहने लगे | मालूम होता है के तुमने भी अपने बात दादा का दीन छोड़ दिया है | तो लाओ पहले में तुझी को निपटा दूँ | ये कह कर तलवार खींच ली और हज़रते नईम रदियल्लाहू अन्हु ने कहा हाँ में मुस्लमान हो गया हूँ और अपनी तलवार संभाली |
अनक़रीब दोनों तरफ से तलवारें चलने को थीं के हज़रते नईम रदियल्लाहू अन्हु ने कहा के तू पहले अपने घर की खबर ले | “तेरी बहिन फातिमा बिन्ते खत्ताब और बहनोई सईद बिन ज़ैद रदियल्लाहू अन्हुमा दोनों अपने बाप दादा का दीन छोड़ कर मुस्लमान हो चुके हैं” ये सुन कर हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु को बेइंतहा गुस्सा पैदा हुआ | वो वहीँ से पलट पढ़े और सीधे अपनी बहिन के घर पहुंचे |
वहां हज़रते खुबाब रदियल्लाहू अन्हु दरवाज़ा बंद किए हुए | इन दोनों मियां बीवी को क़ुरआन मजीद पढ़ा रहे थे हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु ने दरवाज़ा खोलने के लिए कहा उनकी अवाज़ा सुन कर हज़रते खुबाब रदियल्लाहू अन्हु घर के एक हिस्से में चुप गए बहिन ने दरवाज़ा खोला आप घर में दाखिल हुए और पूछा तुम लोग क्या कर रहे थे? और ये आवाज़ किस की थी? आपके बहनोई ने टाल दिया और कोई वाज़ेह जवाब नहीं दिया | कहने लगे मुझे मालूम हुआ है के तुम लोग अपने बाप दादा का दीन छोड़ कर दूसरा दीन इख्तियार कर लिए है बहनोई ने कहा हाँ बाप दादा का दीन बातिल है और दूसरा दीन हक़ है ये सुनना था के बेतहाशा टूट पढ़े उनकी दाढ़ी पकड़ कर खींची और ज़मीन पर पटख कर खूब मारा | उनकी बहिन छुड़ाने के लिए दौड़ीं तो इनके मुँह पर एक घूँसा इतनी ज़ोर से मारा के वो खून से तितरबितर हो गईं |
आखिर वो भी हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु की बहिन थीं कहने लगीं के ऐ उमर रदियल्लाहु अन्हु हम को इस वजह से मार रहे हो के हम मुस्लमान हो गए हैं | “कान खोल कर सुनलो के तुम मार मार कर हमारे खून का एक एक क़तरा निकाल लो ये हो सकता है केन हमारे दिल से ईमान निकल लो ये हरगिज़ नहीं हो सकता और आप की बहिन ने कहा के में गवाही देती हूँ के अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह तआला के बन्दे और उसके रसूल हैं | बेशक हम लोग मुस्लमान हो गए हैं तुझ से जो हो सके करले” बहिन के जवाब और उन के खून से तितरबितर देखकर हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु का गुस्सा ठंडा हुआ |
हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया के अच्छा मुझे वो किताब दो जो तुम लोग पढ़ रहे थे ताके में भी उसको पढूं | आप की बहिन ने कहा की तुम नापाक हो और इस मुक़द्दस किताब को पाक लोग ही हाथ लगा सकते हैं | हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु ने हर चंद इसरार किया मगर वो बगैर ग़ुस्ल के देने को तय्यार न हुईं आखिर हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु ने ग़ुस्ल किया फिर किताब लेकर पढ़ी इस में सूरह “ताहा” लिखी हुई थी | उसको पढ़ना शुरू किया | जिस वक़्त इस आयते करीमा पर पहुंचे |सूरह ताहा आयत 14

Read this also सहाबिए रसूल हज़रत सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की हालाते ज़िन्दगी (Part-1)


اِنَّنِیْۤ اَنَا اللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّاۤ اَنَا فَاعْبُدْنِیْۙ-وَ اَقِمِ الصَّلٰوةَ لِذِكْرِیْ

तर्जुमए कंज़ुल ईमान :- बेशक में अल्लाह हूँ मेरे अलावा कोई मअबूद नहीं तो मेरी इबादत करो और मेरी याद के लिए नमाज़ क़ाइम करो |
तो हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु कहने लगे के मुझे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में ले चलो जिस वक़्त हज़रते खुबाब रदियल्लाहू अन्हु ये बात सुनी तो आप बाहर निकल आये और कहा के “ऐ उमर में तुम को खुशखबरी देता हूँ के कल जुमे की रात में रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुआ मांगी थी के या अल्लाह उमर और अबू जहिल में जो तुझे मेहबूब व प्यारा हो उससे इस्लाम को क़ुव्वत अता फरमा मालूम होता है के रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ तुम्हारे हक़ में क़बूल हो गई |
रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उस वक़्त सफ़ा पहाड़ी के क़रीब हज़रते अरक़म रदियल्लाहु अन्हु के मकान में तशरीफ़ फरमा थे | हज़रते खुबाब रदियल्लाहू अन्हु आप को साथ लेकर रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में हाज़िर होने के इरादे से चले हज़रते अरक़म रदियल्लाहु अन्हु के दरवाज़े पर हज़रते हमज़ा रदियल्लाहु अन्हु हज़रते तलहा रदियल्लाहु अन्हु और कुछ दुसरे सहाबए किराम रदियल्लाहु अन्हुम हिफाज़त और निगरानी के लिए बैठे हुए थे हज़रते हमज़ा रदियल्लाहु अन्हु आप को देखकर फ़रमाया के उमर आ रहे हैं | अगर अल्लाह तआला को इनकी भलाई मंज़ूर है तब तो ये मेरे हाथ से बच जाएंगें | और अगर इनकी नियत कुछ और है तो इस वक़्त इनका क़त्ल करना बहुत आसान है |
इसी दरमियान में रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर इन हालात के बारे में वही नाज़िल हो चुकी थी रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मकान से बाहर तशरीफ़ लाकर हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु का दामन और उनकी तलवार पकड़ ली और फ़रमाया ऐ उमर किया ये फसाद तुम इस वक़्त तक बरपा करते रहोगे जब तक के तुम पर ज़िल्लत व रुस्वाई मुसल्लत न हो जाए | ये सुनते ही हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु ने “कलमा शरीफ पढ़ा” यानि में गवाही देता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई मअबूद नहीं और में गवाही देता हूँ के आप अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं | इस तरह अल्लाह के प्यारे मेहबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु के हक़ में मक़बूल हुई | इमामे अहले सुनत सय्यदी सरकार आला हज़रत रदियल्लाहू अन्हु फरमाते हैं |

इजाबत का सेहरा इनायत का जोड़ा,
दुल्हन बनके निकली दुआए मुहम्मद

और फरमाते हैं |

इजाबत ने झुक कर गले से लगाया
बढ़ी नाज़ से जब दुआए मुहम्मद

चले थे हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु अल्लाह के प्यारे मेहबूब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमको क़त्ल करने के लिए :- मआज़ अल्लाह मगर खुद ही हुज़ूर के शैदा आशिक़ बन गए इस वाक़िए से ये बात साफ़ तौर पर मालूम हुई के मज़हबे इस्लाम तलवार के ज़ोर से नहीं फैला आप खुद ही देखिए इस्लाम क़बूल करने वाले के हाथ में तलवार है और इस्लाम फ़ैलाने वाले का हाथ तलवार से खाली है

आप को “फ़ारूक़” का लक़ब कब और किसने दिया :- हज़रते उमर रदियल्लाहू अन्हु फरमाते हैं के जब में कलमए शहादत पढ़ कर मुसलमान हो गया तो मेरे इस्लाम क़बूल करने की ख़ुशी में उस वक़्त जितने मुसलमान हज़रते अरक़म रदियल्लाहू अन्हु के घर में मौजूद थे उन्होंने इतनी ज़ोर से नारए तकबीर बुलंद किया के उसको मक्का के सब लोगों ने सुना |मेने रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अर्ज़ किया के या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम किया हम हक़ पर नहीं हैं? रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया क्यों नहीं? यानि बेशक हम हक़ पर हैं | इस पर मेने अर्ज़ किया फिर ये पोशीदगी और पर्दा क्यों है? उस के बाद हम सब मुसलमान इस घर से दो सफे बन कर निकले एक सफ में हज़रते हमज़ा रदियल्लाहु अन्हु थे और दूसरी सफ में, में था और इसी तरह हम सब सफों की शक्ल में मस्जिदे हराम में दाखिल हुए | कुफ्फारे क़ुरैश ने मुझे और हज़रते हमज़ा रदियल्लाहु अन्हु को जब मुसलमानो के गिरोह को देखा तो उनको बेइंतहा मलाल हुआ |
उस दिन सरकारे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु को “फ़ारूक़” का लक़ब अता फ़रमाया | इस लिए के इस्लाम ज़ाहिर हो गया और हक़ और बातिल के दरमियान फ़र्क़ वाज़ेह हो गया | इमामे अहले सुनत सय्यदी सरकार आला हज़रत रदियल्लाहू अन्हु फरमाते हैं | (तारीख़ुल खुलफ़ा)

फ़ारूक़े हक़ व बातिल इमामुल हुदा
तेगे मसलूले शिद्दत पे लाखों सलाम

Aap Ka Mazare Pur Anwar Gunmbade Khazra Ke Andar Huzur Sallahu Alaihi Wasallam ke Pehlu Me Hai In Hi Jaaliyon Ke Andar

हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु के डर से अबू जाहिल ने दरवाज़ा बंद कर लिया (इज़हारे इस्लाम का ज़ज्बा) :- हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के जब में मुसलमान हो गया तो उस के बाद अपने मामू अबू जहिल बिन हिशाम के पास पहुंचा | अबू जहिल खानदाने क़ुरैश में बहुत बा असर समझा जाता था और उसको भी रईसे क़ुरैश की हैसियत हासिल थी | (तारीख़ुल खुलफ़ा)
मेने उसके दरवाज़े की कुंडी खटखटाई | उसने अंदर से पुछा कौन है? “मेने कहा में उमर हूँ और में तुम्हारा दीन छोड़ कर मुसलमान हो गया हूँ” उस ने कहा उमर ऐसा कभी मत करना मगर मेरे डर के सबब बाहर नहीं निकला बल्कि अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया | मेने कहा ये तरीक़ा है? मगर उसने कोई जवाब नहीं दिया और न दरवाज़ा खोला में इसी तरह देर तक बाहर खड़ा रहा फिर वहां से क़ुरैश के एक दुसरे सरदार और बा असर शख्स के पास पंहुचा मेने उसको पुकारा | वो निकला तो जो बात मेने अपने मामू अबू जहिल से कही थी के में मुसलमान हो गया हूँ वही बात इससे भी कही तो उसने भी कहा ऐसा मत करना फिर मेरे खौफ से अंदर दाखिल होकर दरवाज़ा बंद कर लिया |
मेने अपने दिल में कहा ये किया मुआमला है के मुसलमान मारे जाते हैं और में नहीं मारा जाता | कोई मुझ से कुछ तआरूज़ नहीं करता | मेरी ये बात सुनकर एक शख्स ने कहा के तुम अपना इस्लाम और अपना दीन इस तरह ज़ाहिर करना चाहते हो | मेने कहा के हाँ में इसी तरह ज़ाहिर करूंगा | उसने कहा के वो देखो पथ्थर के पास कुछ लोग बैठे हुए हैं, उनमे फुलां शख्स ऐसा है अगर उससे तुम कुछ राज़ की बात कहो तो वो फ़ौरन ऐलान कर देगा | उससे इस्लाम लाने का वाक़िआ बयान कर दो हर जगह खबर हो जाएगी | एक एक आदमी के घर जाने की ज़रुरत नहीं में वहां पंहुचा और उससे अपने इस्लाम क़बूल करने का इज़हार किया | उसने कहा वाक़ई तुम मुसलमान हो चुके हो? मेने कहा हाँ में बेशक मुसलमान हो चूका हूँ | ये सुनते ही उसने बुलंद आवाज़ से ऐलान किया ऐ लोगों उमर बिन खत्ताब हमारे दीन से निकल गया | “ये सुनते ही जो मुशरिकीन इधर उधर बैठे हुए थे मुझ पर टूट पड़े फिर देर तक मार पीट होती रही शोरो गुल की आवाज़ मेरे मामू अबू जहिल ने सुनी उसने पूछा किया मुआमला है? लोगों से कहा उमर मुसलमान हो गया है मेरा मामू एक पथ्थर पर चढ़ा और लोगों से कहा के मेने अपने भांजे को पनाह देदी ये सुनते ही जो लोग मुझ से उलझ रहे थे | अलग हो गए मगर ये बात मुझे बहुत नाग़वार हुई के वो दुसरे मुसलमानो से मार पीट हो और मुझ को पनाह देदी जाए |
में अबू जहिल के पास फिर पंहुचा और कहा तेरी पनाह में तुझे वापस करता हूँ मुझे तेरी पनाह की ज़रुरत नहीं फिर कुछ दिनों तक मार पीट का सिलसिला जारी रहा यहाँ तक के ख़ुदाए तआला ने इस्लाम को ग़लबा अता फ़रमाया | (तारीख़ुल खुलफ़ा)

Read this also सय्यदना इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु की हालाते ज़िन्दगी

इस्लाम की शानो शौकत में इज़ाफ़ा हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु का मुसलमान होना इस्लाम की फ़तेह थी :- हज़रते इबने मसऊद रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के वो फरमाते हैं के हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु का मुसलमान होना इस्लाम की फ़तेह थी | उनकी हिजरते नुसरते इलाही थी और उनकी खिलाफत रहमते खुदा वन्दी थी | हम में से किसी की ये हिम्मत व ताक़त नहीं थी के हम बैतुल्लाह शरीफ के पास नमाज़ पढ़ सकें मगर “जब हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु मुसलमान हो गए तो उन्होंने मुशरिक़ीन से इस क़द्र जंगो जिदाल किया के उन्होंने आजिज़ आकर मुसलमानो का पीछा छोड़ दिया हम बैतुल्लाह शरीफ के पास इत्मीनान से ऐलानियाँ नमाज़ पढ़ने लगे | (असदुल गाबा, अल मोजमुल कबीर)

इस्लाम का सब से पहला ऐलान :- हज़रते इबने अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है के जिसने सब से पहले अपना इस्लाम अलल ऐलान ज़ाहिर किया वो “हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु हैं | और हज़रते सोहीब रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के उन्होंने फ़रमाया के जब हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु ईमान लाए तब इस्लाम ज़ाहिर हुआ | यानि उससे पहले लोग अपना इस्लाम क़बूल करना ज़ाहिर नहीं करते थे | इन के ईमान लाने के बाद लोगों को इस्लाम की तरफ खुल्लम खुल्ला बुलाया जाने लगा और हम बैतुल्लाह शरीफ के पास मजलिसें क़ाइम करने उसका ऐलानिया तवाफ़ करने काफिरों से बदला लेने और उनका जवाब देने के क़ाबिल हो गए | (अल तबक़ातुल कुबरा, अल मोजमुल कबीर)

हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु की हिजरत अलल ऐलान :- हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु की हिजरत भी बेमिसाल है | हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु के अलावा हम किसी ऐसे शख्स को नहीं जानते जिसने ऐलानिया हिजरत की हो |
“जब हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु हिजरत की नियत से निकले तो आप ने अपनी तलवार गले में लटकाई और कमान कंधे पर और तरकश से तीर निकाल कर हाथ में ले लिया | फिर बैतुल्लाह शरीफ के पास हाज़िर हुए वहां बहुत से अशराफे क़ुरैश बैठे हुए थे | आपने इतमिनान से काबा शरीफ का तवाफ़ किया फिर बहुत से इतमिनान से मक़ामे इब्राहीम के पास दो रकअत नमाज़ पढ़ी |
फिर अशराफे क़ुरैश की जमात के पास आकर एक एक शख्स से अलग अलग फ़रमाया तुम लोगों के चेहरे बद शकल हो जाएं बिगड़ जाएं और तुम्हारा नास हो जाए | और इसके बद फ़रमाया जो शख्स के अपनी माँ को बेऔलाद, अपने बच्चों को यतीम और अपनी बीवी को बेवा बनाने का इरादा रखता हो तो वो इस वादी के इस तरफ आकर मेरा मुक़ाबला करे आपके इस तरह ललकारने के बावजूद इन अशराफे क़ुरैश में से किसी माई के लाल की हिम्मत न हुई के वो आप का पीछा करता |
हज़रते बरआ रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हमारे पास मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा में सब से पहले हिजरत करके हज़रत मुसअब बिन उमैर रदियल्लाहु अन्हु आए | फिर हज़रते इबने उम्मे मकतूम रदियल्लाहु अन्हु और उनके बाद हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु बीस सवारों के साथ तशरीफ़ लाए | हम ने उन से पुछा के रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरादा किया है? उन्होंने फ़रमाया के वो पीछे तशरीफ़ लाएंगें | “तो आपके बाद सरकारे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा तशरीफ़ लाए हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु भी थे | (तारीख़ुल खुलफ़ा, तारीखे मदीना दमिश्क़)

गज़्वात में आप की शिरकत :- हज़रते इमाम नववि फरमाते हैं के हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ तमाम गज़्वात में शरीक रहे और आप वो बहादुर हैं के ग़ज़वए उहद में जब के जंग का नक़्शा बदल गया और मुसलमानो में अफरातफरी पैदा हो गई तो इस हालत में भी आप साबित क़दम रहे |

आपका हुलिया :- हज़रते ज़िर रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु का रंग गंदुमी था | आप के सर के बाल खुद पहिनने की वजह से गिर गए थे | क़द आप का लम्बा था मजमे में आप का सर दूसरे लोगो के सरों से ऊँचा मालूम होता था | देखने में ऐसा महसूस होता था के आप किसी जानवर पर सवार हैं |
और अल्लामा वाकदी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु का रंग जो लोग गंदुमी बतलाते हैं उन्होंने कहित के ज़माने में आप को देखा होगा | इस लिए के इस ज़माने में ज़ैतून का तेल इस्तेमाल करने के सबब रंग आप का गंदुमी हो गया था | और इबने सअद रहमतुल्लाह अलैह ने रिवायत की है के हज़रते इबने उमर रदियल्लाहु अन्हु ने अपने बाप हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु का हुलिया इस तरह बयान किया है के आप का रंग सुरखी माइल सफ़ेद था | आखरी उमर में सर के बाल झड़ गए और बुढ़ापे के आसार ज़ाहिर थे |
और इबने रजा रदियल्लाहु अन्हु से इबने असाकर रहमतुल्लाह अलैह ने रिवायत की है | उन्होंने फ़रमाया के हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु तवील अलक़ामत और मोटे बदन के आदमी थे | सर के बाल बहुत ज़्यादा झड़े हुए थे | रंग बहुत गोरा था जिस में सुरखी झलकती थी | आप के गाल अंदर को धंसे हुए थे मूछों के किनारे का हिस्सा बहुत लम्बा था और उनके अतराफ़ में सुरखी थी | (तारीख़ुल खुलफ़ा, सीयर अला नुब्ला)

आप ने कितनी औरतों से निकाह किए :- आप का पहला निकाह ज़मानए जाहीलियत में “ज़ैनब बिन्ते मज़ऊन से हुआ था” जिन के शिकम से “अब्दुल्लाह, अब्दुर रहमान, और सय्यदह हफ्सा रदयाल्लाहु अन्हुम पैदा हुईं | हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु अन्हा मक्का शरीफ में ही ईमान लाईं और वहीं इन्तिक़ाल हुआ |
दूसरा निकाह एह्दे जाहीलियत में ही “मलीका बिन्ते जरवल से किया जिससे “अब्दुल्लाह” पैदा हुए चूंकि ये बीवी ईमान न लाई इस लिए 6 हिजरी में उसको तलाक़ दे दी |
तीसरी बीवी “क़रीबा बिन्ते अबी उमय्या मख़्ज़ूमी” थी जिससे ज़मानए जाहीलियत में ही निकाह किया और 6 हिजरी बाद सुलेह हुदैबिया इस्लाम न लाने की वजह से तलाक़ दे दी |
चौथा निकाह एहदे इस्लाम में “उम्मे हकीम बिन्ते अल हारिस बिन हिशाम मख़्ज़ूमी” से निकाह किया जिन के बतन से फतामा पैदा हुईं |
पांचवा निकाह मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा आकर 7 हिजरी में “जमीला बिन्ते आसिम बिन साबित” किया जिन के बतन से “आसिम” पैदा हुए लेकिन उनको भी किसी वजह से तलाक़ दे दी |
छटा निकाह 7 हिजरी में “उम्मे कुलसूम” बिन्ते हज़रत शेरे खुदा से किया उन के बतन से “रुक़य्या” और ज़ैद पैदा हुए |
आतिका बिन्ते ज़ैद बिन अमर जो आप की चाचा ज़ाद बहिन थीं और “फकीहा” , “यमीना” भी हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु की बीवियों में शुमार की जाती हैं | और फ़क़ीह की निस्बत कुछ हज़रात ने लिखा है के वो लौंडी थीं | उन के बतन से अब्दुर रहमान औसत पैदा हुए | कुछ हज़रात ये भी कहते हैं के आप की दस बीवियां थीं और आप की कुल पंद्रह (15) औलादें थीं |

Read this also सहाबिए रसूल हज़रत सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु की हालाते ज़िन्दगी (Part-2)

हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु की फ़ज़ीलत में बहुत सी हदीसें वारिद हैं

उमर नबी होता :- तिरमिज़ी शरीफ की हदीस में है के सरकारे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया “अगर मेरे बाद नबी होते तो उमर होते |
सुब्हान अल्लाह:
ये है मर्तबा हज़रते उमर रदयाल्लाहु का के अगर रसूले करीम ख़ातिमुन नबीईन सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम न होते तो आप नबी होते | इस हदीस शरीफ में हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु की फ़ज़ीलत का अज़ीमुश्शान बयान है | (मिश्कात शरीफ, सुनन तिरमिज़ी)

शयातीन भाग जाते हैं :- हज़रते आएशा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत है के रसूले खुदा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया में बिला शुबाह निगाहें नुबुव्वत से देख रहा हूँ के “जिन शैतान भी और इंसान के शैतान भी दोनों मेरे उमर के खौफ से भागते हैं | ये रोब व दबदबा है हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु का के चाहे जिन का शैतान हो या इंसान का दोनों इन के डर से भाग जाते हैं |

हक़ उमर के साथ है :- मदारीजुन नुबुव्वत जिल्द दोम में है के हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के “उमर मुझे से हैं और में उमर से हूँ और उमर जिस जगह भी होते हैं हक़ उन के साथ होता है रदियल्लाहु अन्हु |

Aap Ka Mazare Pur Anwar Gunmbade Khazra Ke Andar Huzur Sallahu Alaihi Wasallam ke Pehlu Me Hai In Hi Jaaliyon Ke Andar

हज़रते उमर का कमाले ईमान :- हज़रते अबू सईद खुदरी रदियल्लाहु अन्हु से बुखारी व मुस्लिम में रिवायत है के रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के में सो रहा था तो ख्वाब देखा की लोग मेरे सामने पेश कीए जा रहे हैं और मुझ को दिखाए जा रहे हैं | वो सब कुरते पहने हुए थे जिन में से कुछ लोगों के कुरते ऐसे थे जो सिर्फ सीने तक थे | और बाज़ लोगों के कुरते इससे नीचे थे फिर उम्र बिन खत्ताब को पेश किया गया जो इतना लम्बा कुरता पहने हुए थे के ज़मीन पर घसीटते थे | लोगों ने अर्ज़ लिया की या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस ख्वाब की ताबीर किया है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के दीन (मिश्कात शरीफ पेज नंबर 587) इस हदीस शरीफ में इस बात का वाज़ेह बयान है के हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु दीन दारी और तक़वा शिआरी में बहुत बढे हुए थे |

ज़बान व क़ल्ब पर हक़ :- तिरमिज़ी शरीफ में हज़रत इबने उमर रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया “अल्लाह तआला ने उमर की ज़बान और क़ल्ब पर हक़ को जारी फरमा दिया है”
मतलब ये है के हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु हमेशा है ही बोलते हैं उनके क़ल्ब यानि दिल और ज़बान पर बातिल कभी जारी नहीं होता |

आप से अदावत का अंजाम :- तबरानी औसत में हज़रत अबू सईद खुदरी रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया “जिस शख्स ने उमर से दुश्मनी रखी उसने मुझ से दुश्मनी रखी और जिस ने उमर से मुहब्बत की उसने मुझ से मुहब्बत की और ख़ुदाए तआला ने अरफ़ा वालों पर उमूमन और उमर ख़ुसूसन फ़ख़्र व मुबाहात की है जितने अम्बियाए किराम अलैहिस्सलाम दुनिया में मबऊस हुए हर नबी की उम्मत में एक मुहद्दिस ज़रूर हुआ है और अगर कोई मुहद्दिस मेरी उम्मत में है तो वो उमर है सहाबए किराम रदियल्लाहु तआला अन्हुम ने अर्ज़ किया के या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुहद्दिस कौन होता है हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के जिस की ज़बान से मलाइका बात करें वो मुहद्दिस होता है | इमामे अहले सुन्नत सय्यदी सरकार आला हज़रत रदियल्लाहू अन्हु फरमाते हैं | (तारीख़ तारुखुल खुलफ़ा)

वो उमर जिस के आदा पे शैदा सक़र उस खुदा दोस्त हज़रत पे लाखों सलाम

Read this also हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम और ज़ुलैख़ा का वाक़्या और आपकी हालात ऐ ज़िन्दगी 

इस उम्मत के मुहद्दिस :- और हज़रत अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया यानि तुममे से पहले उम्मतों में मुहद्दिस हुए हैं अगर मेरी उम्मत में कोई मुहद्दिस है तो वो उमर है | (मिश्कात शरीफ)

दुनिया को ठुकरा दिया :- हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के पास दुनिया नहीं आयी और न उन्होंने उसकी ख्वाइश व तमन्ना फ़रमाई मगर हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु के पास दुनिया बहुत आयी लेकिन उन्होंने उसे क़बूल नहीं किया बल्के ठुकरा दिया |
बेशक हज़रत उमर रदियल्लाहु अन्हु के पास दुनिया आयी के उनके ज़मानए खिलाफत में बहुत ममालिक फ़तेह हुए और बेशुमार शहरों पर क़ब्ज़ा हुआ जहाँ से बेइंतहा माले गनीमत हासिल हुआ मगर आप फ़क़ीराना ज़िन्दगी ही गुज़रते थे आप ही के ज़मानए खिलाफत में शहर मदाइन फ़तेह हुआ और वहां से इस क़द्र माले गनीमत हासिल हुआ था शहर मदाइन के माले गनीमत का अंदाज़ा इससे लगाया जा सकता है के इस शहर के फ़तेह करने वाले लश्कर के सिपाही साठ (60000) हज़ार थे |
बैतुल माल का पांचवा हिस्सा निकालने के बाद हर सिपाही को (12000) बारह हज़ार दिरहम नक़द मिला था और ये माल किसरा बादशाह के उस फर्श के अलावा था जो सुने चांदी और जवाहिरात से बना हुआ था | जिस को मख़सूस दरबारों में किसरा के बादशाह के लिए बिछाया जाता था | ये फर्श लश्कर की इजाज़त से हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में भेज दिया गया इस फर्श की क़ीमत का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है के उस के एक बालिश्त मुरब्बा टुकड़े की क़ीमत हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु को (20000) बीस हज़ार की रक़म मिली थी | तो इस तरह हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु के पास दुनिया आती थी मगर आप हमेशा ठुकराते थे | हज़रते हसन रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के हज़रते उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रते हुज़ैफ़ा रदियल्लाहु अन्हु को तहरीर फ़रमाया के लोगों को उनकी तनख्वाहें और उसके साथ अतीयात के तौर पर भी माल तक़सीम कर दो | उन्होंने आप को लिखा के मेने ऐसा ही किया लेकिन उस के बावजूद अभी माल बहुत ज़्यादा मौजूद है “हज़रते उमर रदियल्लाहु अन्हु ने उन को तहरीर फ़रमाया के कुल माले गनीमत है जो ख़ुदाए तआला ने मुसलमानो को दिया है लिहाज़ा वो सब माल उन्ही पर तक़सीम कर दो वो माल उमर या उसकी औलाद का नहीं, रदियल्लाहु अन्हु | अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेशुमार रहमत हो और उनके सदक़े हमारी मगफिरत हो

(तारीख़ुल खुलफ़ा) मिश्क़ातुल मसाबीह) (अल मोजमुल औसत) (सही बुखारी शरीफ)
(सुनानं तिरमिज़ी शरीफ) (अत्तब्क़ातुल कुबरा) (मिश्कात शरीफ) (सीयर आला मुननुब्ला)
(तारीखे मदीना दमिश्क़) (खुलफाए राशिदीन) (इस्लामी हैरत अंगेज़ मालूमात) (तारीखे इस्लाम)
(असदुल गाबा, अल मोजमुल कबीर)

Read this also – “वही” किसको कहते है? और नबीयों पर वही किस तरह नाज़िल होती थी?

Share This