इस उम्मत के बेहतरीन लोग कौन हैं?

सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान वो मुक़द्दस हस्तियां हैं जिन्होंने नबीए रहमत शफीए उम्मत सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के हुस्न व जमाल को ईमान की हालत में देखा हो सुह्बते मुस्तफा सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से फ़ैज़याब हुए, आफ़ताबे रिसालत सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से नूरे मारफ़त हासिल कर के आसमाने विलायत पर चमके और गुलिस्ताने करामत में गुलाब के फूलों की तरह चमके और “सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान” के मुअज़्ज़ज़ लक़ब से सरफ़राज़ होकर इस उम्मत के लिए नुजूमे हिदायत बने सय्यदुल मुबल्लिग़ीन रहमतुललिल आलमीन सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के तमाम सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान इस उम्मत में सबसे अफ़ज़ल हैं | अल्लाह तआला ने क़ुरआने करीम में सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान की फ़ज़ीलत व तारीफ बयान फ़रमाई है, उनके बेहतरीन अमल, उम्दा, अख़लाक़ और हुस्ने ईमान का तज़किराह फ़रमाया और इन सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान को दुनिया में ही अपनी रजा की ख़ुशख़बरी सुनाई जैसा के अल्लाह तआला का इरशाद है:

رَّضِىَ ٱللَّهُ عَنْهُمْ وَرَضُوا۟ عَنْهُ وَأَعَدَّ لَهُمْ جَنَّٰتٍ تَجْرِى تَحْتَهَا ٱلْأَنْهَٰرُ خَٰلِدِينَ فِيهَآ أَبَدًا ۚ ذَٰلِكَ ٱلْفَوْزُ ٱلْعَظِيمُ


पारा 11 सूरह तौबा आयात 100

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- अल्लाह उनसे राज़ी और वो अल्लाह से राज़ी और उनके लिए तयार कर रखे हैं बाग़ जिनके नीचे नहरें बहें हमेशा हमेशा उनमे रहें यही बड़ी कामयाबी है |

दो जहां के ताजवर, सुल्ताने बेहरोबर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहाबए किराम
अलैहिमुर्रिज़वान की इज़्ज़त व तौक़ीर का हुक्म दिया फ़रमाया अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लमने फ़रमाया: मेरे सहाबा की इज़्ज़त करो के वो तुम्हारे बेहतरीन लोग हैं | (मिश्क़ातुल मसाबीह)

यक़ीनन :- सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान की शान बहुत आला व अरफ़ा है इन मुक़द्दस हस्तियों पर अल्लाह तआला का बेहद करम व फ़ज़ल है | हमें चाहिए के इन पाकीज़ा नुफ़ूसे क़ुदसिया की मुहब्बत दिल में बसाते हुए इन की पाकीज़ा हयात का मुतालआ करें |

इसमें गिरामी और लक़ब व कुन्नियत :- हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का नामे नामी इस्मे गिरमि “मुआविया” है कई सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान का नाम “मुआविया” था जैसा के शरह बुखारी अल्लामा बदरुद्दीन मेहमूद बिन अहमद ऐनी हनफ़ी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं: “मुआविया” नाम के 20 से ज़्यादा सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान हैं | जब मुतलक़न मुआविया बोला जाए तो इससे मुराद हज़रात अमीर मुआविया इब्ने अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हुमा होते हैं | आपकी कुन्नियत “अबू अब्दुर्रहमान” है लक़ब “नासिरुद्दीन” यानि अल्लाह के दीन के मददगर है और “नासिरुन लिहककिल्लाह” यानि अल्लाह के हक़ के मददगार भी आपका लक़ब है और यही ज़्यादा मशहूर है | (उम्दतुल कारी)

विलादत :- शरह बुखारी हज़रत अल्लामा अबुल फ़ज़ल अहमद बिन अली इब्ने हजर अस्क़लानी शाफ़ई अलैहिर्रहमा फरमाते हैं: हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की विलादत मुबारक 604 ईस्वी में हुई और यही क़ौल ज़्यादा मशहूर है |

सिलसिलए नसब :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का सिलसिलए नसब “अब्दे मनाफ़” पर नबीए करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सिलसिलए नसब से जा मिलता है | हुज़ूर अकरम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का नसब मुबारक मुलाहिज़ा फरमाएं: मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह अब्दुल मुत्तलिब बिन हाशिम बिन अब्दे मनाफ़ |

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हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का सिलसिलए नसब इस तरह है :- मुआविया बिन अबू सुफ़यान सखर बिन हरब बिन उमय्या बिन अब्दे शमश बिन अब्दे मनाफ़ इसी तरह आपकी वल्दाह मुहतरमा का नसब भी नबीए करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से मिल जाता है मुआविया बिन हिन्द बिन्ते उतबा बिन रबिआ बिन अब्दे शमश बिन अब्दे मनाफ़ इसीलिए हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु नसबी ऐतिबार से हुज़ूरे अकरम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के रिश्तेदारों में से हैं | (असादुल गाबा)

वालिदैन का तआरुफ़ और क़बूले इस्लाम :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के वालिद हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान और वालिदा हज़रत सय्यदह हिन्द रदियल्लाहु अन्हुमा ने फ़तेह मक्का (8 हिजरी मुताबिक़ 629 ईस्वी) के रोज़ सरकारे दो आलम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के दस्ते हक़ परस्त पर इस्लाम क़बूल किया | (ज़रक़ानी, अलल मवाहिब)

सय्यदना अबू सुफ़यान की क़ुर्बानियां :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के वालिद हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदयाल्लाहु अन्हु क़बीलाए क़ुरैश की शाख बनु उमय्या की अहम् तिरीन शख्सियत थे यही वजह है के अबू जहल के ग़ज़वए बदर में क़त्ल होने के बाद तमाम क़बाइल की मुत्तफिका राय से सरदारे मक्का मुन्तख़ब (चुनना) हुए फ़तहे मक्का के दिन आप ने इस्लाम क़ुबूल किया और इसी रोज़ नबीए करीम सल्लाहअलैह वस्सलाम ने हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु के घर को “दारुलआमान” यानी अमन व चैन का घर करार देकर आप को खुसूसी इम्तियाज़ से नवाज़ा | हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु ने इस्लाम क़ुबूल करने के बाद अपनी तमाम तर कोशिशे दीने इस्लाम की सरबुलन्दी में सर फ़रमाई | इस दौरान आपने बहुत क़ुर्बानीया दीं और अपनी जुरअतो बहादुरी का अमली मुज़ाहिरा फ़रमाया यहाँ तक के अपनी दोनों आँखे रहे खुदा में क़ुर्बान कर दी जैसा के हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु ग़ज़वए हुनैन में हाज़िर हुए तो नबीए करीम सल्लाहअलैह वस्सलाम ने आप को माले गनीमत से सौ ऊँठऔर चालीस उकिया अता फरमाए और आपके दोनों फ़रज़न्द हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया और हज़रत सय्यदना यज़ीद बिन अभी सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हुमाको भी इतना ही अत फ़रमाया ग़ज़वए ताइफ़ में भी आपने शिरकत की और उसमे आपकी एक आँख शहद हो गई आपकी दूसरी आँख जंगे यरमूक में शहीद हुई | याद रहे जंगे यरमूक के सिपेह सालार हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु के फ़रज़न्द हज़रत सय्यदना यज़ीद बिन अभी सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु थे (ये यज़ीद पलीद के चाचा थे वो बद बख्त था लेकिन वालिद और चचा खुश बख्त थे) दोनों आँखों का रहे खुदा में शहीद हो जाना ये किस क़द्र अज़मत की बात है |

लख्ते जिगर बारगाहे रिसालत में :- एक मौके पर हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु ने बारगाहे रिसालत में अर्ज़ की: या रसूलल्लाह मेरी तीन बातें क़बूल फरमाए एक उम्मे हबीबा बिन्ते अबी सुफ़यान अरब में सबसे हसीन व जमील हैं में उनका निकाह आपसे करता हूँ दूसरी मुआविया को अपना कातिब बना लीजिये तीसरी मुझे लश्कर का अमीर मुक़र्रर फरमा दीजिये ताके में कुफ्फार से ऐसे ही लड़ूं जैसे मुसलमानो से लड़ता था नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हर सवाल पर रजा मंदी का इज़हार फ़रमाया | हज़रत सय्यदना अबू ज़ुमैल रहमतुल्लाह अलैह फरमाते है: अगर हज़रत सैयदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु आपसे सवाल न करते तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम अता न फरमाते आपकी आदते मुबारक थी के आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम किसी साइल का सवाल रद्द नहीं फरमाते थे | (मुस्लिम शरीफ)

हज़रत सय्यदह हिन्द की प्यारे आक़ा से मुहब्बत :- हज़रत सय्यदना अबू सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु की तरह हज़रत सय्यदह बिन्ते उतबा रदियल्लाहु अन्हु ने भी क़बूले इस्लाम के बाद अपनी तमाम तर कोशिशें दीने इस्लाम की सरबुलन्दी में सर्फ़ फ़रमादीं आप भी सहाबियात में दाखिल हो गईं और हुज़ूर अलैहिस्सलाम को सरे जहां से बढ़ कर चाहने लगी जैसा के हज़रते आएशा सिद्दिक़ाह रदियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं: हिंदा बिन्ते उतबा नबी करीम की बारगाह में हाज़िर हुईं और अर्ज़ की या रसूलल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम इस्लाम लाने से पहले रूए ज़मीन पर आपके घर वालों से ज़्यादा किसी घर वालों का रुस्वा होना मुझे महबूब न था मगर अब मेरा ये हाल है के रूए ज़मीन पर आपके घर वालों से ज़्यादा किसी घर वालों का इज़्ज़त दार होना मुझे पसंद नहीं | (बुखारी शरीफ)

सूरत व सीरते मुबारिका :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु दराज़ क़ामत थे आपका रंग सफेद व खूबसूरत और शख्सियत रोअब दार थी सर और दाढ़ी मुबारक में मेंहदी लगाया करते थे जिसके रंग के सबब दाढ़ी सोने की तरह मालूम होती थी आप हलीम, बुर्दबार बावक़ार, मालदार और लोगों में सरदार थे करम फरमाने वाले और बेहरे सूरत इन्साफ करने वाले | (अल बिदाया वननिहाया)

हज़रत सय्यदना अबुल हसन अली बिन मुहम्मद जज़री रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं :-हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु बहुत खूबसूरत थे, और गोरे रंग वाले जैसा के अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु फ़रमाया करते थे मुआविया अरब के किसरा हैं हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु अक्सर काला अमामा बांधते थे | (मिरअतुल मनाजीह)

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की जवानी और ज़मानाए जाहिलियत :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की विलादत हुज़ूर अलैहिस्सलाम के ऐलाने नबुव्वत से पांच साल पहले मक्का में हुई इस हिसाब से आपकी उमर 18 साल थी और आप जवान थे लेकिन सरदार मक्का के घर मे तरबियत पाने और कुफ्फारे मक्का के दरमियान रहने के बावजूद इस्लाम के खिलाफ होने वाली साज़िशों और जंगों में आपकी शमूलियत नहीं यानि ज़मानाए जाहिलियत में आपका दामन इज़ाए मुस्लिम के बदनुमा दाग से पाक व साफ़ रहा |

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु :- जब छोटे थे तो मुशरिक़ीने मक्का ने आपके सामने हज़रत सय्यदना खुबैब रदियल्लाहु अन्हु को सूली पर खड़ा किया तो आपने अहले मक्का के लिए बद दुआ की हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं: मुझे मेरे बाप ने ज़मीन पर लिटा दिया क्योंकि उनका ख्याल था के अगर ज़मीन पर लेट जाएँ तो बद दुआ का असर नहीं होता | इस बद दुआ से सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु पर एक बेचैनी तारी हो गई मुझ पर इस बद दुआ का ये असर हुआ के कई सालों तक मेरी शोहरत ख़त्म हो गई के जितने आदमी भी सूली पर चढ़ाते वक़्त मौजूद थे एक साल के अंदर अंदर सब मर खप गए | (शवाहिदुं नबुव्वत)

औलाद व अज़वाज :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के निकाह में चार ख़वातीन आईं जिनसे अल्लाह तआला ने औलाद भी अता फ़रमाई

  1. मैसून बिन्ते बहदल अल्लाह तआला ने आपको बेपनाह फ़हिम अक़्ल और तक़वा परहेज़ गारी जैसी आला सिफ़ात से नवाज़ा था शरीअत के मामले में आप बेहद मुहतात थीं आपका शुमार ताबीयात में होता है जैसा हज़रत सय्यदना हसन बिन मुहम्मद सनआनी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं: मैसून बिन्ते बेहदल अमीर मुआविया की ज़ौजा हैं और ताबीईयात में शामिल हैं अक्सर औलाद इन्ही से है यज़ीद, अमाता, रब्बिल मशरिक़, रमला, हिन्द,
  2. फाख्ता बिन्ते क़राज़ा इनसे हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की दो औलादें हुईं अब्दुर्रहमान, और अब्दुल्लाह,
  3. कनूद बिन्ते क़राज़ा ये फाख्ता बिन्ते क़राज़ा की बहिन हैं रूम के एक जज़ीरे कुबरस की फ़तेह के वक़्त ये सय्यदना अमीर मुआविया के साथ थीं |
  4. नाइला बिन्ते अमारा |

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु :- को अल्लाह तआला ने आला सिफ़ात का मालिक बनाया आपको बेशुमार नेमतों से नवाज़ा और ऐसा क्यों न होता के आप नबीए रहमत, क़सिमे नेमत सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबी होने का शरफ़ रखते हैं हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु अख़लाक़े हसना के जामे और अख़लाक़े राजीला से कोसों दूर और इस्लामका मिनराये मीनाराये नूर थे |

अपनी ताज़ीम पसंद न फरमाते :- हज़रत सय्यदना अबू मिजलज रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं: के एक मर्तबा हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर और हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदियल्लाहु अन्हुमा के पास तशरीफ़ लाये तो हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर ताज़िमन खड़े हो गए जब के हज़रत अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर जो सय्यदना अमीर मुआविया और सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर से ज़्यादा भरी जिस्म वाले थे अपने वज़न के सबब बैठे रहे हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन आमिर रदियल्लाहु अन्हु से फ़रमाया: बेशक मेने रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते सुना है: जो शख्स इस बात को पसंद करे के लोग उसकी ताज़ीम के लिए खड़े हों वो अपना ठिकाना जहन्नम बनाले इस हदीसे पाक के तहत हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खां रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं: इस फरमाने आली में हुज़ूर ने तमाम अंसार को दो हुक्म दिए: एक हज़रत सय्यदना साअद की ताज़ीम के लिए खड़ा होना दूसरे उनके इस्तक़बाल के लिए कुछ आगे जाना उनको लेकर आना बुज़ुगों की आमद पर ये दोनों काम यानी क़यामे ताजीमी और इस्तक़बाले क़िब्ला जाइज़ बल्कि सुन्नते सहाबा है हुज़ूर की सुन्नते कौली भी है मुफ़्ती साहब और फरमाते हैं जमहूर उलमा इस हदीस की बिना पर फ़रमाया है: बुज़ुर्गों के लिए क़यामे ताजीमी मुस्तहब है हुज़ूर ने हज़रते अकरमा इब्ने अबू जाहिल और हज़रत इब्ने अबी हातिम की आमद पर उनकी इज़्ज़त अफ़ज़ाई के लिए क़याम फ़रमाया हज़रत सय्यदह फातिमा ज़हरा रदियल्लाहु अन्हा हुज़ूरे अनवर की तशरीफ़ आवरी पर ताजीमी क़याम करती थीं सहाबए किराम ने हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए क़यामे ताजीमी बारहा किया | (मिरअतुल मनाजीह)

सबसे ज़्यादा हलिमुत्तबा :- हज़रत सय्यदना मुहम्मद बिन सीरीन रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं: एक दफा हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अनुमा ने फ़रमाया: हज़रत सय्यदना मुआविया बिन अबू सुफ़यान लोगों में सबसे ज़्यादा हौसला मंद और सबसे ज़्यादा हलिमुत्तबा हैं हाज़रीने मजलिस ने अर्ज़ की: किया अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यैदना सिद्दीक़े अकबर से भी ज़्यादा? तो हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया सय्यदना सिद्दीक़े अकबर रदियल्लाहु अन्हु अपने मक़ाम और मर्तबे के ऐतिबार से तो हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु से बहुत बेहतर और अफ़ज़ल हैं लेकिन हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया ज़्यादा हलीम (बुर्द बार) हैं गुस्सा बर्दाश्त करलेना और गुस्सा दिलाने वाली बातों पर गुस्सा न करना बुर्द बारी कहलाता है | (फैजाने अमीर मुआविया)

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सबसे बड़ा सरदार कौन :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में सवाल हुआ: सबसे बड़ा सरदार कौन? फ़रमाया जब कुछ माँगा जाए तो सबसे बढ़ कर सखी हो महफ़िल में हुस्ने अख़लाक़ के ऐतिबार से अच्छा हो और उसे जितना हक़ीर समझा जाए तो उतना ही हिल्म व बुर्द बारी का मुज़ाहिरा करे |

किसी से जाती दुश्मनी न रखते :- हज़रत सय्यदना अबू अस्वद रहमतुल्लाह अलैह जंगे जमल में हज़रत सय्यदना आली मुर्तज़ा करामल्लाहु वजहुल करीम के साथ थे लेकिन जंग ख़त्म होने के बाद हज़रत सय्यदना अबू अस्वद रहमतुल्लाह अलैह हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु की बारगाह में हाज़िर हुए तो आपने उन्हें अपने पास बिठाया और क़ीमती तहाईफ़ से भी नवाज़ा | (सीअर अलामुल नुब्ला)

क़ैसारिया का फ़तेह :- अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के दौरे खिलाफत में आपने मानेईने ज़कात, मुन्किरिने खत्म नुबुव्वत, झूठे मुददईयाने नुबुव्वत और मुर्तद दीं के खिलाफ जिहाद में भर पूर हिस्सा लिया और कई कारनामे अंजाम दिए | अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु के दौरे खिलाफत में जो फुतूहात हुईं उसमे हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का नुमाया किरदार रहा | अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु के दौरे खिलाफत में हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु जिहाद व फुतूहात में मसरूफ रहे | आपने रूमियों को शिकिसते फाश देकर तराबुल्स, शाम, अन्ताकिया, और दीगर इलाक़ों को हुदूदे नसरानीयत से निकाल कर इस्लामी सल्तनत में शामिल फ़रमाया एक रिवायत में ज़िक्र किया जाता है अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म रदियल्लाहु अन्हु ने हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु को क़ैसारिया (रूम का एक बहुत बड़ा शहर) के महाज़ के लिए अमीर मुक़र्रर किया और उनकी जानिब एक खत भेजा हम्दो सलात के बाद मेने तुम्हे क़ैसारिया का वाली (हाकिम) मुक़र्रर किया तुम अल्लाह से मदद तलब करते हुए मुक़ाबले के लिए इस इलाक़े की तरफ जाओ लाहौल का विर्द करते रहो क्योके अल्लाह ही हमारा रब है इसी पर हमारा भरोसा वही हमारी उम्मीदों का मरकज़ है वही हमारा मौला है क्या ही अच्छा मौला और क्या ही अच्छा मददगार है फिर हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया ने कैसरिया की जानिब लश्कर कशी फ़रमाई और कैसारिया का मुहासिरा कर लिया और कई मर्तबा दुश्मन की तरफ आगे बढे और जंग का आगाज़ हुआ और आपने उसमे निहायत ही शुजाअत व बहादुरी का मुज़ाहिरा फ़रमाया इस जंग में अल्लाह में आपको अज़ीमुश्शान फ़तेह से सरफ़राज़ फ़रमाया | (अल बिदाया वननिहाया)

सबसे अच्छे अख़लाक़ वाला हाकिम :- हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अन्हुमा फरमाते है मेरी नज़र में कोई ऐसा हाकिम नहीं गुज़रा जो हुस्ने अख़लाक़ में हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो से बढ़कर हो लोग उन्हें कुशादा वादी के किनारो से दूर करते है (यानी तरह तरह की बाते करके उन्हें गुस्सा दिलाते है) मगर वो तंगी और रुकावट की वजह से न तो गज़ब नाक होते है और न बुरे अख़लाक़ अपनाते है | (तारीख इब्ने असाकर)

उम्मत की खैर ख़्वाही का जज़्बा :- हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो ने अबू हब्श नामी एक शख्स को सिर्फ इसलिए मुताईय्यन कर रखा था के वो लोगो के पास जाए और दरयाफ्त करे क्या आज किसी के यहां बच्चे की विलादत तो नहीं हुई या कोई वफ्द तो नहीं आया ताके बैतूल माल से वज़ीफ़ा जारी करने के लिए उनका नाम लिख लिया जाए | (अल बिदाया वननिहाया)

हाजियो और गरीब रोज़ादारों का इंतिज़ाम :- हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो ने मक्का मुकर्रमा में लंगर खाना क़ायम फ़रमाया जिसमे हाजियो और रमज़ानुल मुबारक के महीने में फ़क़ीरों के लिए खाना पकाया जाता था | (अखबार मक्का ज़रक़ानी)

फ़िक़्हा व इज्तिहाद :- हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु ने हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो की फकीहाना सलाहियतों के पेशे नज़र आपको फकीह (मुजतहिद) फ़रमाया | (बुखारी शरीफ)

आशूरे का रोज़ा :- हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो सुन्नते नबी सल्लाहु अलैहि वस्सलम की पैरवी में आशूरे के रोज़ (दस मुहर्रम की तारीख) को रोज़ा रखने का एहतिमाम फरमाते और उसकी तरग़ीब भी दिलाते थे | (मुस्लिम शरीफ)

ज़ियारते क़ुबूर की सुन्नत फ़रमाई :- हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो जब अपने ज़माने खिलाफत में हज या उमरा के लिए तशरीफ़ लाए और मदीना मुनव्वरा हाज़िरी हुई तो आप भी इत्तिबाये सुन्नत के जज़्बे से शोहदाए उहद की कुबूर पर तशरीफ़ ले गए क्योंकि नबी करीम सल्लाहु अलैहि वस्सलाम हज़रत सय्यदना सिद्दीके अकबर , हज़रत सय्यदना फ़ारूके आज़म और सय्यदना उस्माने गनी रदियल्लाहु अन्हु का साल में एक मर्तबा शोहदाए उहद के मज़ारात पर जाने का मामूल था | (फैजाने अमीरे मुआविया)

कातिबे वही :- हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हो का शुमार अरब के उन लोगों में होता था जो लिखना, पढ़ना जानते थे और सलाहियत व क़ाबिलियत में अपना एक मक़ाम रखते थे, जब आप दौलते ईमान से शरफ़ याब हुए तो नबीए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन्हें अपना ख़ास क़ुर्ब अता फ़रमाया | फ़तेह मक्का के बाद आप हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ ही रहे और तमाम गज़्वात में हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की क़ियादत में जिहाद फी सबी लिल्लाह फरमाते रहे | क़ुरआन मजीद को मेहफ़ूज़ रखने के ज़राये में से एक अहम जरिया “किताबते वही” था, यानि ज़बाने मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से अदा होने वाली आयते क़ुरआनी को लिखकर मेहफ़ूज़ करना इस अहम तरीन काम के लिए हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तक़रीबन 40 सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान पर मुश्तमिल एक जमाअत मुक़र्रर कर रखी थी जो “बारगाहे रिसालत में वही लिखते थे” के मुक़द्दस नाम से जानी जाती थी, जिन में से कुछ के असमाये मुक़द्दसा ये हैं: हज़रत सय्यदना सिद्दीक़े अकबर, हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म, हज़रत सय्यदना उस्माने गनी, हज़रत सय्यदना अली मुर्तज़ा, हज़रत सय्यदना आमिर बिन फुहीरा, हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अरक़म, हज़रत सय्यदना उबाई बिन कअब, हज़रत सय्यदना साबित बिन क़ैस, हज़रत सय्यदना खालिद बिन सईद, हज़रत सय्यदना हन्ज़ला बिन रबी असादी, हज़रत सय्यदना ज़ैद बिन साबित, हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया बिन सुफ़यान और हज़रत सय्यदना शर हबील बिन हसना वगैरा हुम् अलैहिमुर्रिज़वान बाज़ उलमा ने फ़रमाया हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया बिन सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु और हज़रत सय्यदना ज़ैद बिन साबित रदियल्लाहु अन्हु सिर्फ और सिर्फ “वही” लिखने पर मामूर थे | (मदारीजुन नुबुव्वत)

यज़ीद की गिरफ्त :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया बिन सुफ़यान रदियल्लाहु अन्हु कोई ख़िलाफ़े शरीअत काम देखकर पस व पेश से काम न लेते थे और न ही अपने क़रीबी रिश्तेदारों और अज़ीज़ो से इस मुआमले में नर्म रवय्या इख्तियार फरमाते बल्कि फ़ौरन इस्लाह की कोशिश फरमाते जैसा के एक दिन हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने ये मंज़र मुलाहिज़ा फ़रमाया के आप का बेटा यज़ीद अपने गुलाम को मार रहा है तो सख्त लहजे में इरशाद फ़रमाया जान ले जितनी क़ुदरत तू इस गुलाम पर रखता है इससे ज़्यादा अल्लाह तुझ पर रखता है तेरा बुरा हो तू ऐसे शख्स को मार रहा है जो तुझे रोकने की ताक़त नहीं रखता है अल्लाह की क़सम में ताक़त व क़ुदरत के बावजूद कीना रखने वालो से इन्तिक़ाम लेने से रुका हुआ हूँ क्योंकि ताक़त के बावजूद माफ़ कर देना ही ज़्यादा अच्छा है| (अल बिदाया वननिहाया)

शैतान ने नमाज़ के लिए जगाया :- हज़रत अल्लामा जलालुद्दीन रूमी रहमतुल्लाह अलैह मसनवी शरीफ में बयान फरमाते हैं: एक रोज़ हज़रत अमीर मुआविया के महिल में दाखिल होकर किसी ने आपको नमाज़े फजर के लिए बेदार किया तो आपने दरयाफ्त फ़रमाया तू कौन है और किस लिए तू ने मुझे जगाया है? तो उसने जवाब दिया ए अमीर मुआविया में शैतान हूँ आपने हैरान होकर पूछा: ए शैतान तेरा काम तो इंसान से गुनाह कराना है और तू ने मुझे नमाज़ केलिए जगाकर मुझे नेक अमल करने का मौक़ा दिया उसकी वजह किया है? तो शैतान हीलो बहानो से बात टालने लगा कभी अपने नेक होने का दावा करता और कभी कहता मेने अल्लाह की बारगाह में तौबा करली है कभी कहता में नेकी की दावत देना पसंद करता हूँ तो कभी कहता के में हमेशा से ही नेक हूँ मगर अमीर मुआविया ने उसे पकडे रखा और जब तक हकीकत हाल से आगाह न हुए न छोड़ा बिला आखिर इस मरदूद ने बता दिया के ए अमीरुल मोमिनीन में जानता हूँ के अगर सोते रहने में आपकी नमाज़े फजर क़ज़ा हो जाती तो आप ख़ौफ़े खुदा से इस क़द्र रोते और इस कसरत से तौबा व इस्तगफार करते के खुदा की रहमत आपको बेक़रारी व गिर्योज़ारी पर रहिम आजा ता और वो आपकी क़ज़ा नमाज़ क़बूल फरमाकर अदा नमाज़ से हज़ारो गुनाह ज़्यादा अजरो सवाब अता फ़रमा देता जैसा के मुझे खुदा के नेक बन्दों से बुग्ज़ व हसद है इसलिए मेने आपको जगा दिया ताके आपको कुछ ज़्यादा सवाब न मिल सके | (मसनवी शरीफ)

सादगी :- हज़रत सय्यदना यूनुस बिन हलबस रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं: मेने हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु को खच्चर पर सवार देखा आपके साथ खादिम भी सवार था हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने पेबंद लगी हुई क़मीस पहने हुए थे और इस हालत में आप दमिश्क़ के बाजार का दौरा कर रहे थे | (तारीख़ इब्ने असाकर)

हुज़ूर अलैहिस्सलातो वस्सलाम की चादर से मुहब्बत :- हज़रत सय्यदना कअब बिन ज़ुहैर रदियल्लाहु अन्हु ने सरकार सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की तारीफ में एक क़सीदा लिखकर बारगाहे रिसालत में सुनाया तो नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुश होकर अपनी चादर मुबारक इनायत फ़रमाई हज़रत सय्यदना कअब बिन ज़ुहैर रदियल्लाहु अन्हु की वफ़ात के बाद हज़रत अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने ये मुक़द्दस चादर उनके साहब ज़ादे से बीस हज़ार दिरहम के बदले खरीदली आपके बाद तमाम खुलफ़ा ईदैन में वही चादर ओढ़कर निकलते अरसे दराज़ तक वो चादर सलातीने इस्लाम के पास एक मुक़द्दस तबर्रुक के तोर पर बाक़ी रही |

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सय्यदना अमीर मुआविया का बेमिसाल कफ़न :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु के पास नबीए अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का कुरता, एक तहबन्द, एक चादर और कुछ मूये मुबारक थे (दाढ़ी के बाल) आपने अपनी वफ़ात (इन्तिक़ाल) के वक़्त वसीयत फ़रमाई के इन मुक़द्दस कपड़ों में मुझे कफ़न दिया जाए और नाखून शरीफ व मूये मुबारक (दाढ़ी के बाल) मेरे चेहरे और आँखों पर और मेरे सिने पर रख दिए जाएँ फिर मुझे खुदा के सुपुर्द कर दिया जाए | (मदारीजुन नुबुव्वत)

प्यारे इस्लामी भाइयो :- अम्बियाए किराम अलैहिमुस्सलातु वस्सलाम और औलियाए किराम से मंसूब चीज़ों की बरकतों के क्या कहने जैसा के हज़रत सय्यदना युसूफ अलैहिस्सलाम की क़मीस की बरकत से हज़रत सय्यदना याक़ूब अलैहिस्सलाम की आँखों की रौशनी लौट आयी जैसा के अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है:

فَلَمَّآ أَن جَآءَ ٱلْبَشِيرُ أَلْقَىٰهُ عَلَىٰ وَجْهِهِۦ فَٱرْتَدَّ بَصِيرًا ۖ قَالَ أَلَمْ أَقُل لَّكُمْ إِنِّىٓ أَعْلَمُ مِنَ ٱللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ

पारा 13 सूरह युसूफ आयत 96

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- फिर जब ख़ुशी सुनाने वाला आया उसने वो कुरता याक़ूब के मुँह पर डाला उसी वक़्त उसकी आँखें रोशन हो गयीं कहा में न कहता था के मुझे अल्लाह की वो शाने मालूम हैं जो तुम नहीं जानते और हज़रत सय्यदना युसूफ अलैहिस्सलाम ने खुद इस कुर्ते को अपने वालिदे मुहतरम की आँखों पर डालने का हुक्म दिया था जैसा के इरशाद होता है:

ٱذْهَبُوا۟ بِقَمِيصِى هَٰذَا فَأَلْقُوهُ عَلَىٰ وَجْهِ أَبِى يَأْتِ بَصِيرً

पारा 13 सूरह युसूफ आयत 93

तर्जुमा कंज़ुल ईमान :- मेरा ये कुरता ले जाओ उसे मेरे बाप के मुँह पर डालो उनकी आँखें खुल जाएँगी |

मक़ामे हुदैबिया :- में नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसललम ने सरे मुबारक के बाल कटवाकर खजूर के दरख़्त पर रख दिए वहाँ मौजूद सहाबए किराम अलैहिमुर्रिज़वान इस पेड़ के नीचे जमा हो गये और मुये मुबारक हासिल करने में एक दुसरे से पहिल करने लगे | हज़रत सय्यदह उम्मे अम्माराह रदियल्लाहु अन्हा कहती हैं के मेने भी चंद मुये मुबारक हासिल कर लिए जब कोई बीमार होता तो में इन मुबारक बालों को पानी में डबो कर वो पानी मरीज़ को पिलाती तो अल्लाह उसे सिहत अता कर देता इसी तरह अल्लाह के नेक बन्दों के तबर्रुकात की बड़ी बरकतें होती हैं | (मदारीजुन नुबुव्वत)

तुझे बुराई नहीं पहुंचे गी :- जलीलुल क़द्र सहाबी हज़रत सय्यदना अबू अय्यूब अंसारी रदियल्लाहु अन्हु ने जब नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसललम की दाढ़ी मुबारक के कुछ बाल हासिल किये तो नबीए रहमत शाफिये उम्मत सलल्लाहु अलैहि वसललम ने आप से इरशाद फ़रमाया ए अबू अय्यूब तुझे बुराई नहीं पहुंचेगी | (मुसतदरक हाकिम)

अली मुर्तज़ा मुझ से अफज़ल हैं :- हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु की बारगाह में हज़रत सय्यदना अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु का तज़किराह हुआ तो आपने फ़रमाया खुदा की क़सम जब अली मुर्तज़ा कलाम फरमाते तो आपकी आवाज़ में शेर की सी गर्ज होती, जब ज़ाहिर होते तो चाँद की तरह रोशन होते और जब नवाज़ते तो बारिश की तरह बे इंतिहा अता फरमाते बाज़ हज़रात ने पुछा के आप अफ़ज़ल हैं या हज़रत अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु? फ़रमाया: हज़रत सय्यदना अली के नुकूश भी आले अबू सुफ़यान से बेहतर हैं फिर फ़रमाया जो शख्स हज़रत अली मुर्तज़ा की तारीफ में शेर सुनाये में उसको हर शेर के बदले हज़ार दीनार इनाम दूंगा हाज़रीन ने शेर सुनाए हज़रत अमीर मुआविया फरमाते थे इन अशआर में जो आपने अमीरुल मोमिनीन हज़रतअली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु की शान व अज़मत बयान की आप इससे भी ज़्यादा अफ़ज़ल हैं फिर हज़रत सय्यदना अमर बिन आस रदियल्लाहु अन्हो ने हज़रत अली मुर्तज़ा की शानो अज़मत में कई अशआर पढ़े | (फैजाने अमीर मुआविया)

में अली से मुहब्बत करता हूँ :- हज़रत सय्यदना इब्ने अब्बास रदियल्लो अन्हो ने फ़रमाया: में नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाज़िर था, हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़,हज़रत सय्यदना उमर फ़ारूक़े आज़म,हज़रत सय्यदना उस्माने गनी, और हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया अलैहिमुर्रिज़वान भी मौजूद थे | अचानक हज़रत अली मुर्तज़ा करमल्लाहु तआला वजहहुलकरीम तशरीफ़ लाये नबी पाक सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत अमीर मुआविया से फ़रमाया: ए मुआविया किया तुम अली से मुहब्बत करते हो? हज़रत अमीर मुआविया ने अर्ज़ कि उस ज़ात कि क़सम जिस के सिवा कोई माबूद नहीं में अल्लाह के लिए उनसे बहुत मुहब्बत करता हूँ आकाए दो जहां सलल्लाहु अलाही वसल्लम ने फ़रमाया: अनक़रीब तुम दोनों के दरमियान आज़माइश होगी अमीर मुआविया ने अर्ज़ कि ए रसूलल्लाह उसके बाद किया होगा हुज़ूर ने फ़रमाया उसके बाद अल्लाह कि माफ़ी उसकी रजा मंदी और जन्नत में दाखला अमीर मुआविया ने अर्ज़ कि हम अल्लाह के फैसले पर राज़ी हैं| (फैजाने अमीर मुआविया)

शेरे खुदा पर आबदीद हो गए :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु को जब अमीरुल मोमिनीन अली मुर्तज़ा रदियल्लाहु अन्हु कि शहादत कि खबर मिली तो निहायत रंजीदह हुए रोने लगे और फ़रमाया लोगों ने फ़ज़्ले फ़िक़ाह और इल्म से कितना कुछ खो दिया है | (अल बिदाया वननिहाया)

फ़ज़ाइले इमामे हसन बज़बाने अमीर मुआविआ :- हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने अपने हम नशीनों से फ़रमाया आबओ अजदाद, चचा फूफी और मामू व खालू के ऐतिबार से लोगों में सबसे ज़्यादा मुअज़्ज़ज़ कौन है? सब ने अर्ज़ कि अमीरुल मोमिनीन ज़्यादा जानते है हज़रत अमीर मुआविया ने हज़रत सय्यदना इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हो का दस्ते मुबारक थामा और इरशाद फ़रमाया ये हैं इनके वालिद सय्यदना अली बिन अबी तालिब, वालीदह सय्यदह फातिमा, इनके नाना अल्लाह के रसूल सय्यदह खदीजा इनकी नानी जान सय्यदना जाफर इनके चचा हैं सय्यदह हाला बिन्ते अबी तालिब इनकी फूफी जान और नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम कि औलाद इनके मामू और खलायें हैं |

एक और मक़ाम पर अमीर मुआविया फरमाते हैं मेने नबी करीम को देखा के आप हज़रत सय्यदना इमामे हसन मुज्तबा रदियल्लाहु अन्हु कि ज़बान ए होंठ मुबारक का बोसा लेरहे हैं बेशक जिस ज़बान या होंठ को अल्लाह के रसूल ने चूमा उसे हरगिज़ अज़ाब नहीं दिया जायेगा| (मुसनद अहमद)

सहाबा कि फ़ज़ीलत :- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मग्फल रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के अल्लाह के रसूल ने इरशाद फ़रमाया मेरे सहाबा के बारे में अल्लाह से डरो अल्लाह से डरो मेरे बाद उन्हें निशाना न बनाना क्योंकि जिसने उनसे मुहब्बत कि तो उसने मेरी मुहब्बत कि वजह से इनसे मुहब्बत कि और जिसने उनसे दुश्मनी रखी तो उसने मेरी दुश्मनी कि वजह से दुश्मनी रखी और जिसने उन्हें सताया उसने मुझे सताया और जिसने मुझे सताया उसने अल्लाह को इज़ा दी और जिसने अल्लाह को इज़ा दी तो क़रीब है के अल्लाह उसकी पकड़ फ़रमाले | (तिर्मिज़ी शरीफ)

खुद हुज़ूर ने अमीर मुआविया को दुआ दी :- हज़रत सय्यदना अब्दुर्रहमान बिन अबी उमैराह रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के अल्लाह के रसूल अलैहिमुस्सलाम ने फ़रमाया ए अल्लाह अमीर मुआविया को हादी (हिदायत देने वाला) महदी (हिदायत पाने वाला) बना दे और इनके ज़रिये से लोगों को हिदायत दे| (तिर्मिज़ी शरीफ)

किताब व हिकमत सिखा दे :- हज़रत सय्यदना इरबाज़ बिन सारिया रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के अल्लाह के रसूल अलैहिमुस्सलाम ने अल्लाह कि बारगाह में अर्ज़ कि ए अल्लाह मुआविया को किताब का इल्म और हिकमत सिखा और उसे अज़ाब से बचा| (मुजम कबीर)

रसूल के राज़दार :- हज़रत सय्यदना इब्ने अब्बास रदियल्लाहु अन्हो से रिवायत है के एक दिन नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अश्हराए मुबशहराः के फ़ज़ाइल बयान फरमाए और हज़रत अमीर मुआविया का भी यूं ज़िक्र फ़रमाया मुआविया बिन अबी सुफ़यान मेरे राज़दारों मे से है जिस ने इन तमाम से मुहब्बत कि वो निजात पा गया और जिसने इन से बुग्ज़ रखा हलाक हो गया|

अमीरे मुआविया जन्नती है :- हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन उमर रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के नबी करीम सल्लाहु अलैहि वस्सलाम ने इरशाद फ़रमाया : अभी तुम्हारे पास एक जन्नती शख्स आएगा , तो हज़रत अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हु हाज़िर हुए | दुसरे दिन फिर इरशाद फ़रमाया : अभी तुम्हारे पास एक जन्नती शख्स आएगा ,तो फिर हज़रत अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हु हाज़िर हुए | तीसरे दिन भी यही इरशाद फ़रमाया : तो हज़रत अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हु हाज़िर हुए | (फैजाने अमीर मुआविय)

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मोमिनो के मामू :-हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु कि बहन हज़रत सय्यदा उम्मे हबीबा रदियल्लाहु अन्हा हुज़ूर नबीए रहमत शफ़िए उम्मत सल्लाहु अलैहि वसल्लम कि ज़ौजा मोहतरमा है (बीवी) और उम्मुल मोमिनीन होने कि वजह से तमाम मोमेनीन कि माँ है इस लिए जलीलुल क़द्र उलमा व मुहद्दिसीन किराम रहमतुल्लाह अलैहिम अजमईन ने हज़रत सय्यदना अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हु को मोमिनो के मामू लिखा है| (दुर्रे मंसूर)

शातिमे सहाबी को सजा :- हज़रत सय्यदना इब्राहीम बिन मैसरा रदियल्लाहु अन्हा फरमाते है मेने नहीं देखा के हज़रत सय्यदना उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रदियल्लाहु अन्हु ने अपने दौरे हुकूमत में अमीरे मुआविया को बुरा भला कहने वाले के अलावा किसी और को भी कोड़े लगाए हो हज़रत सय्यदना उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ रदियल्लाहु अन्हु ने खुद उस शख्स को तीन कोड़े मारे जिसने आपके सामने अमीर मुआविया पर सब्बो शतम (बुरा भला गाली गलौज ) (अल इस्तियाब)

अमीरे मुआविया कि शान :- हज़रत सय्यदना अल्लामा नूरुद्दीन मुल्ला अली बिन सुल्तान कारी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के हज़रत अमीरे मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का शुमार आदिल, फ़ाज़िल और बड़े बड़े साहब किराम अलैहिमुर्रिज़वान में होता है|

अमीर मुआविया कि अज़मत :- हज़रत सय्यदना अब्दुल वहाब शारानी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं जिसने सहाबए किराम कि इज़्ज़त पर हालमा किया यक़ीनन उसने अपने ईमान पर हमला किया इसी लिए उसका सद्दे बाब लाज़िम है ख़ास तौर पर हज़रत अमीर मुआविया और हज़रत सय्यदना अमर बिन आस के हवाले से ज़्यादा अहम है|

शाने अमीर मुआविया ब ज़बाने अल्लामा युसूफ नबहानी :- हज़रत अल्लामा युसूफ बिन इस्माईल नबहानी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं हज़रत अमीर मुआविया तमाम ताबईन रदियल्लाहु अन्हुम से अफ़ज़ल हैं क्योंकि आपको नबी करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबी होने का शरफ़ हासिल है आपने किताबते वही का अहम काम भी अंजाम दिया | (फैजाने अमीर मुआविया)

नबी के तबर्रुक से मुहब्बत :-हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु ने मरजुल मरज़ुल मौत इरशाद फ़रमाया में अल्लाह के रसूल को वुज़ू कराता था एक रोज़ आपने मुझसे इरशाद फ़रमाया क्या में तुम्हे कमीज न पहनाऊ मेने अर्ज़ कि मेरे माँ बाप आप पर क़ुर्बान क्यों नहीं तो हुज़ूर ने अपने जिसमे अतहर से कमीज उतार दी और मुझे पहना दी मेने उसे संभाल कर रख लिया और हुज़ूर अलैहिस्सलाम ने अपने नाखून काटे तो मेने वो कटे हुए नाखून ले लिए और एक शीशी में रख लिए तो जब मेरा इन्तिक़ाल हो जाए तो अल्लाह के रसूल अलैहिस्सलाम कि इसी कमीज को मेरे बदन के साथ मिला देना और इन नाखूनों को बारीक करके मेरी आँखों पर रख देना मुमकिन है कि अल्लाह तआला इन तबर्रुक के सबब मुझपे रहम फ़रमाया| (तारीख इब्ने असाकर)

हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का विसाल :-हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु कि वफ़ात बरोज़ जुमेरात माहे रजब 22 तारीख 60 हिजरी में मुल्के शाम के मशहूर शहर “दमिश्क़” में हुई उस वक़्त आपकी उम्र 78 साल कि थी| (तारीख़ुल खुलफ़ा)

विसाले मुबारक कि तारीख :- मुअर्रिख़ीन का इस बात पर इत्तिफ़ाक़ है के हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का विसाल मुबारक माहे रजब 60 हिजरी में हुआ लेकिन तारीखें विसाल में इख्तिलाफ है| हज़रत सय्यदना सुलैमान बिन अहमद तबरानी रहमतुल्लाह अलैहि हज़रत सय्यदना नूरुद्दीन अली बिन अबू बक्र हैस्मी रहमतुल्लाह अलैहि कि ज़िक्र करदा रिवायत और इमाम युसूफ बिन ज़की रहमतुल्लाह अलैहि के मुताबिक हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु का विसाल मुबारक चार रजबुल मुरज्जब साठ हिजरी में हुआ कुछ मुअर्रिख़ीन के नज़दीक आप का विसाल पन्द्र रजबुल मुरज्जब साठ हिजरी में हुआ और बाज़ के नज़दीक विसाले मुबारक बाइस रजबुल मुरज्जब साठ हिजरी में हुआ और यही क़ौल ज़्यादा मशहूर है | (तारीख इब्ने असाकर तारीख़ुल खुलफ़ा)

नोट :- तमाम मोमेनीन हज़रात से गुज़ारिश है के रजबुल मुरज्जब बाइस तारीख को हज़रत सय्यदना अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हु कि फातिहा दिलाये और सवाबे दारैन के हक़दार बने |

हवाला (फैजाने अमीर मुआविया रदियल्लाहु अन्हो, तरीखुलखुलफा)

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