सय्यदे सज्जाद के सदक़े में साजिद रख मुझे
इल्मे हक़ दे बाक़िरे इल्मे हुदा के वास्ते
आपकी विलादत बा सआदत :- आप मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा में वाक़िआए करबला के तीन साल पहले बरोज़ जुमा बा तरीख तीन सफारुल मुज़फ्फर 57 हिजरी में पैदा हुए |
आपका नाम व कुन्नियत :- आपका नाम पाक “मुहम्मद” है अबू जाफर व मुबारक और लक़ब सामी, बाक़र, शाकिर, और हादी है |
Read this also ग्यारवी सदी के मुजद्दिद हज़रत औरंगज़ेब आलमगीर की हालाते ज़िन्दगी
आपके असातिज़ाए किराम :- आप हदीस में अपने वालिद माजिद, हज़रत सय्यदना अली बिन हुसैन, व इबने अब्बास, व जाबिर बिन अब्दुल्लाह, व अबू सईद खुदरी, व हज़रत बीबी आएशा, व बीबी उम्मे सलमा, वगैरहा सहाबए किराम रदियल्लाहु तआला अन्हुम अजमईन के मेहबूब शागिर्दों में से हैं | (मसालिकुस सलीक़ीन)
आपकी वालिदाह मजिदाह :- आपकी वालिदाह मजिदाह हज़रत बीबी फातिमा जिनको उम्मे अब्दुल्लाह भी कहते हैं दुख्तर नेक अख्तर हज़रते इमामे हसन रदियल्लाहु अन्हु थीं |
सरवरे अम्बिया सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की बशारत :- हज़रत इमाम बाक़र रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के एक दिन में हज़रते जाबिर बिन अब्दुल्लाह सहाबिए रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़्यारत को गया | इस वक़्त वो कपड़ा ओढ़े हुए थे | मेने सलाम किया उन्होंने जवाब दिया फिर पूछा के तू कौन है? मेने कहा मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन बिन अली हूँ | तो वो मेरे हाथ चूमने लगे और कहा ऐ फ़रज़न्दे रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम मुबारक हो तुम को और सलाम पैगंबर अलैहिस्सलम का मेने कहा अस्सलाम अला रसूल सलल्लाहु अलैहि वसल्लम मेने क़िस्सा पूछा तो उन्होंने बयान किया के मुझे हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के तू मुलाक़ात करेगा मेरे एक फ़रज़न्द से जिसका नाम मुहम्मद होगा उससे मेरा सलाम कहना |
Read this also सहाबिये रसूल हज़रत अमीर मुआविया के बारे में कैसा अक़ीदा रखना चाहिए? और आपकी हा
आपका हुलिया शरीफ :- आपका क़द मियाना और रंग गंदुम गेहूं जैसा था | और सूरत व सीरत में आप मिस्ले अपने आबाओ अजदाज थे |
बाक़र की वजह तस्मिया :– सवाएके मुहर्रिक़ा में है के “बाक़र” के माना हैं ज़मीन को फाड़कर उसकी मख़्फ़ियात को निकाल कर ज़ाहिर करने वाला तो आपने मख़्फ़ियाते कन्ज़ व हक़ाइक़ व अश्काल और लताइफ को ज़ाहिर फ़रमाया इसी वजह से आपको “बाक़र” कहा गया |
आपके फ़ज़ाइल व कमालात :- हज़रते इमाम बाक़र रदियल्लाहु अन्हु आप सिलसिलाए आलिया क़ादरिया के पांचवे इमाम हैं | आप तरीक़त में दलील अरबाबे मुशाहिदाह के बुरहान इमाम औलादे नबी बुर्गज़ीदाऐ नस्ले अली हैं | किताबे खुदा को बयान करते वक़्त उलूम की बारीकियां और लतीफ़ इशारों को वाज़ेह करने में मख़सूस थे | आपकी करामातें मशहूर और रौशन निशानियां ता बिंदाए दलाइल से मशहूर व मारूफ हैं | साहिबे इरशाद का क़ौल है के जिस क़द्र इल्मे दीन और सुनन, इल्मे क़ुरआन व सैर और फुनून अदब वगैरह आपसे ज़ाहिर हुए वो किसी से ज़ाहिर नहीं हुए | मन्क़ूल है के हज़रते क़ाज़ी अबू युसूफ रहमतुल्लाह अलैह से के मेने हज़रत इमामे आज़म अबू हनीफा रहमतुल्लाह अलैह से पूछा के आपने हज़रत इमाम बाक़र रदियल्लाहु अन्हु से मुलाक़ात की है? तो आपने फ़रमाया के हाँ मेने मुलाक़ात की है और उनसे एक मसअला मालूम किया जिसका जवाब इतना शानदार अता फ़रमाया के इससे शानदार जवाब मेने किसी से नहीं सुना न देखा | उल्माए असर ने बाज़ आयात के माने और मतालिब आप से इम्तिहान के तौर पर मालूम किए तो आपने ऐसे शाफी जवाबात दिए की तस्लीम के अलावा चारा नहीं था एक बार मक़ामे अरफ़ात में तीस हज़ार सवालात मुख्तलिफ मसाइल आप से पूछे गए | आपने तमाम मुश्किल मसाइल के ऐसे शाफी जवाबात इनायत फरमाए की तमाम आपके फ़ज़ाइलो कमालात के तस्लीम करने लगे | अता कहते हैं के मेने उल्माए किराम को अज़ रूए इल्म किसी के पास इस क़द्र अपने को छोटा समझते हुए नहीं देखा जैसा की आपके रूबरू | इबने शहाब ज़ेहरि जन्होंने सब से पहले हदीस की तदवीन (जमा करना) की है आपको हदीस में सिका लिखते हैं | इमाम नसाइ ने अहले मदीना के फुक़हाए मदीना के ताबईन में आपका ज़िकर किया है | इबने सअद ने तबक़ात में लिखते हैं के आप ताबईन अहले मदीना के तीसरे तबके में से हैं | और आपकी फ़ज़ीलत इससे बढ़कर क्या हो सकती है की खुद हुज़ूर सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आपकी विलादत की खबर दी जबकि आपकी पैदाइश भी नहीं हुई थी और हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु से आपको सलाम का हुक्म दिया |
Read this also हज़रत सय्यदना गंज बख्श खट्टू रदियल्लाहु अन्हु की हालाते ज़िन्दगी
आपकी आदात व सिफ़ात :- आप बड़े आबिद व ज़ाहिद, पाक तीनत और बुज़रुग नफ़्स थे अपने तमाम औक़ात को इबादत व इताअते इलाही से मामूर रखते थे और आपको आरिफों की सैर व मक़ामात में इस क़द्र रूसूख़ था की ज़बान इस की सिफ़त से क़ासिर है | आपके साहबज़ादे हज़रते इमाम जाफ़र सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं की मेरे वालिद माजिद अकसर आधी रात गुज़र जाने के बाद रोया करते थे और अल्लाह पाक की बारगाह में अर्ज़ करते थे ऐ मेरे परवर दिगार तूने मुझे नेक कामो का हुक्म दिया मगर मेने इस पर अमल नहीं किया और तूने मुझे बुरे कामो से दूर रहने को फ़रमाया मगर में बाज़ नहीं आया पस में तेरा आजिज़ बंदा तेरी बारगाह में गुनाहों का इक़रार करने वाला खड़ा है और कोई उज़्र नहीं रखता |
खशीयते इलाही आपके अंदर ख़ौफ़े खुदा :- आप बड़े आबिद, ज़ाहिद, और इंतिहाई मुस्तजाबुद दावात थे | अफ़लाह आपके मौला कहते हैं की इमाम मुहम्मद बाक़र बिन ज़ैनुल आबिदीन रदियल्लाहु अन्हु एक बार हज के लिए मक्का मुकर्रमा तशरीफ़ ले गए और में भी आपके साथ था | आप जब मस्जिदे हराम में दाखिल हुए तो बैतुल्लाह शरीफ को देखते ही इतने ज़ोर से रोये की चीखें निकलने लगीं मेने अर्ज़ की हुज़ूर इस क़द्र ज़ोर से मत चीखो क्यूंकि सब की नज़र आप ही की तरफ थी अपने फ़रमाया में क्यों न रोऊं शायद अल्लाह तआला मेरे रोने की वजह से मुझ पर मुहब्बत की नज़र फरमाए और में कल क़यामत के दिन उसके नज़दीक कामयाब हो जाऊं फिर आपने तवाफ़ किया और मक़ामे इब्राहीम पर नमाज़ पढ़ी और जब सिजदाह करके सर उठाया तो सिजदाह की जगह भीगी हुई थी | आपका और आपके फ़रज़न्द और आपके वालिद माजिद बुज़ुर्गवार का ज़िक्र आता है उस सनद के बारे में ये क़ौल है के अगर ये सनद किसी मजनून, पागल पर पढ़कर दम कर दी जाए तो वो शिफ़ायाब होकर साहिबे अक़्ल व फ़हिम हो जाएगा | (रोज़ुर रियाहीन)
Read this also ताजुश्शरिया की हालाते ज़िन्दगी |
अंधे को बीना कर दिया :- अबू बसीर का बयान है के मेने एक रोज़ हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु से अर्ज़ किया की क्या आप वारिसे रसूले खुदा सलल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं? आपने फ़रमाया हाँ मेने अर्ज़ की रसूले खुदा सलल्लाहु अलैहि वसल्लम तमाम अम्बिया अलैहिमुस्सलाम के वारिस थे? फ़रमाया हाँ मेने अर्ज़ क्या आप भी वारिस हैं तमाम उलूम रसूले खुदा सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के? फ़रमाया तहक़ीक़ की ऐसा हूँ फिर मेने अर्ज़ किया आप मुर्दे को ज़िंदह, बरस (जिसके बदन पर सफ़ेद सफ़ेद दाग हों) को अच्छा और अंधे को बीना कर सकते हैं फिर फ़रमाया मेरे नज़दीक आओ और अबू बसीर उस वक़्त नाबीना थे में जब आपके क़रीब गया तो आपने अपना दस्ते मुबारक (हाथ) मेरे चेहरे पर फेरा तो फ़ौरन में आसमान, ज़मीन और पहाड़ को देखने लगा यहाँ तक के मेरी आँख में पूरी बिनाई (रौशनी) आगई | उसके बाद आपने इरशाद फ़रमाया तू क्या चाहता है के इसी तरह देखता रहे और तेरा हिसाब व किताब अल्लाह तआला पर रहे या तू बदस्तूर हो जाए और इस अंधे होने के बदले तुझे जन्नत मिले? मेने अर्ज़ क्या में जन्नत चाहता हूँ तो आपने दोबारा हाथ को फेरा तो में जैसा था वैसा ही हो गया | (शवाहिदुं नुबुव्वह)
ग़ैब पर आपकी नज़र :- रिवायत है की एक शख्स का बयान है एक हम लोग क़रीब 50 आदमी थे जो हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र बिन इमाम ज़ैनुल अबिदीन रदियल्लाहु अन्हुमा की बारगाह में हाज़िर थे | अचानक एक शख्स कूफ़े से आया जो खुरमे की तिजारत करता है और उसने हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु की तरफ रुख कर के कहा के फुला शख्स कूफ़े में ऐसा गुमान करता है के आपके साथ एक रब्बानी फरिश्ता है जो काफिर को मोमिन से और आपके दोस्तों को आपके दुश्मनो से जुदा कर देता है और आपको इस की पहचान करा देता है? इसकी बात को सुन कर हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु ने उससे पूछा के तेरा पेशा क्या है? उसने कहा में गेहूं बेचता हूँ आपने फ़रमाया तू झूट बोलता है | उसने कहा के कभी कभी जौं भी बेचता हूँ आपने फ़रमाया ऐसा भी नहीं है जिसका तुम इक़रार कर रहे हो बल्कि तेरा पेशा छुआरे के दाने को बेचना है इस शख्स ने कहा की आपको ये खबर किसने दी? आपने फ़रमाया के एक रब्बानी फरिश्ता है जो मुझे दोस्त और दुश्मन की खबर देता है और सुनले के के तो फुलां बीमारी से मरेगा | रावी का बयान है के जब में कूफ़ा पंहुचा तो तो उस शख्स का हाल पूछा लोगों ने कहा के उसको इन्तिक़ाल किए हुए आज 3 दिन हो गए फिर बीमारी के मुतअल्लिक़ दरियाफ्त किया तो मअलूम हुआ के हज़रत इमाम मुहम्मद ज़ैनुल अबिदीन रदियल्लाहु अन्हु ने जिस बीमारी में उसकी मौत की खबर दी थी इसी मर्ज़ में उसकी मौत हुई |
Read this also क़ौमे लूत की तभाहकारियाँ
मुल्क व दौलत की खुश खबरी :- हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु एक बार मस्जिदे नबवी में तशरीफ़ फ़रमा थे और इन्ही दिनों आपके वालिद माजिद हज़रत इमाम ज़ैनुल आबिदीन इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु करीब बैठे थे | और मंसूर दवा नक़ी दूसरी जगह बैठ गए | हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया के दवा नक़ी मेरे सामने क्यों नहीं आता? दाऊद ने कहा के हुज़ूर इन्हे एक उज़्र है आप ने इरशाद फ़रमाया के वो दिन दूर नहीं हो के “दवा नक़ी मख़लूक़े खुदा पर हाकिम हो जाएगा” वो मशरिको मगरिब का मालिक होगा और लम्बी उम्र पाएगा और इतने ख़ज़ाने जमा करेगा के उससे पहले किसी ने ऐसा नहीं क्या होगा दाऊद उठे और ये खुश खबरि दवा नक़ी से बयान की इसके बाद दवा नक़ी आपके क़रीब आये और आकर अर्ज़ किया के हुज़ूर मुझे आपके पास आने से आपकी अज़मत व जलालत ने रोका था | फिर उन्होंने दाऊद के कहे हुए खुश खबरि के मुतअल्लिक़ आप से पूछा ये क्या बात में सुन रहा हूँ? आपने इरशाद फ़रमाया के जो तुमने सुना वो सच है और ऐसा ही होगा फिर मंसूर दवा नक़ी ने पूछा के हमारी हुकूमत क्या आपकी हुकूमत से पहले होगी? आपने फ़रमाया हाँ पहले होगी फिर उसने सवाल किया ये हुकूमत मुझ पर ही ख़त्म हो जाएगी या मेरी औलाद को भी मिलेगी आपने फ़रमाया के हाँ तुम्हारी औलाद को भी हुकूमत मिलेगी | फिर सवाल किया के हमारी हुकूमत दराज़ होगी या बनी उम्मय्या? की आपने इरशाद फ़रमाया के तुम्हारी मुद्दते हुकूमत दराज़ होगी और तुम्हारे लड़के मुल्क को हासल करेंगे और उससे तरह तरह खेलेंगें जिस तरह के लड़के गेंद से खेलते हैं और वो कहेंगे के ये वो चीज़ है जो मुझे मेरे वालिद से पहुंची है यहाँ तक की वो वक़्त भी आया के “मंसूर दवा नक़ी” को क़ुदरत ने हुकूमत दी और अपने मुल्क की बाग़ डोर सभांली तो लोगों को हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु की पेंशन गोई पर यक़ीन कामिल हो गया और जैसा के आपने फ़रमाया वैसा ही हुआ |
Read this also हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलम की हालात ऐ ज़िन्दगी
आपकी पेशन गोई :- हज़रते इमाम जाफ़र सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के मेरे वालिद गिरामी एक साल मजलिस आम में बैठे थे के अपने सरे मुबारक को ज़मीन की तरफ सर झुकाया और फिर उठाने के बाद इरशाद फ़रमाया ऐ क़ौम तुम्हारा क्या हाल होगा जब एक शख्स तुम्हारे इस शहर में चार हज़ार अफ़राद के साथ आकर तीन रोज़ तक क़त्ल व ख़ूंरेज़ी करेगा | और तुम ऐसी बला देखोगे जिसके दूर करने की तुममे ताक़त नहीं होगी और ये वाक़िआ साले आइन्दाह में होगा इस लिए तुम अपने बचाओ की हर मुमकिन तदबीर करलो | और इस बात को होश के कान से सुन लो जो कुछ मेने तुम से कहा है वो ज़रूर होगा | अहले मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा ने आपकी इस बात पे कोई तवज्जुह नहीं की और कहा के ऐसा वाक़िआ हरगिज़ नहीं हो सकता चुनांचे जब वो साल आया हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु अपने सब घर वालों को और जमाअत बनी हाशिम को साथ लेकर मदीना से कूच कर गए | आपके चले जाने के बाद नाफ़े बिन अर्ज़क चार हज़ार फ़ौज लेकर मदीना में दाखिल हुआ और तीन रोज़ तक उसने मदीना को मुबाह कर दिया और बेहिसाब मख़लूक़े खुदा को मारा और जैसा के हज़रत ने फ़रमाया था वैसा ही हुआ | हमीरा ने किताबुल मसाइल में लिखा है के ज़ैदीन हाज़िम ने कहा मेने हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु के साथ था इतने में उनके भाई ज़ैद बिन अली का गुज़र हुआ | आपने इरशाद फ़रमाया के देखो ये कूफ़े में ख़ुरूज करेगा और लड़ेगा और इसका सर फिराया जाएगा चुनाचे हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु ने जो पेशन गोई फ़रमाई थी वैसा ही हुआ |
Read this also क़ाबील ने हाबील का क़त्ल क्यों किया और उसका अंजाम क्या हुआ?
क़त्ल की साज़िश :- रिवायत है के एक मर्तबा बाद शाहे वक़्त ने आपको शहीद करने के इरादे से एक शख्स से बुल वाया | आप उस आदमी के साथ बाद शाह के पास तशरीफ़ ले गए जब बाद शाहे वक़्त के क़रीब पहुंचे तो आप से माफ़ी तालाब करने लगा और माफ़ी मांगते हुए तहाइफ़ पेश किए और बड़ी ही इज़्ज़त व एहतिराम के साथ आपको वापस किया लोगों ने बाद शाहे वक़्त से मालूम किया के ऐ बाद शाहे वक़्त तूने उन्हें क़त्ल करने के लिए बुलाया था आपने ऐसा क्यों नहीं किया आखिर इसकी क्या वजह है? तो बाशाह ने जवाब दिया के जब हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु मेरे क़रीब तशरीफ़ लाए तो मेने दो बड़े ही ग़ज़बनाक शेरों को देखा की जो उनके दाएं बाएं खड़े हुए थे और वो मुझसे कह रहे थे अगर तूने हज़रत के साथ कोई भी गुस्ताखी की तो हम तुम्हे मार डालेंगे |
इमारत मुन्हदिम (गिरना टूट फूट जाना) हो जाएगी :- रिवायत है के एक बार दारुल ईमारत हिशाम बिन अब्दुल मालिक में तशरीफ़ फ़रमा थे वो ईमारत बड़ी ही शानदार बनी हुई थी इस ईमारत को देख कर आप ने इरशाद फ़रमाया के ये ईमारत तोड़ी जाएगी और इसकी मिटटी भी उठाली जाएगी ये सुनकर लोगों ने तअज्जुब्ब किया | मगर जब हिशाम का इन्तिक़ाल हुआ तो उसके बेटे वलीद ने वो ईमारत को मिस्मार कर दिया और जैसा के हज़रत ने पेशन गोई फ़रमाई थी वैसाही हुआ |
Read this also हज़रत युसूफ अलैहिस्सलाम और ज़ुलैख़ा का वाक़्या और आपकी हालात ऐ ज़िन्दगी
आपकी औलादे किराम के असमाए गिरामी हस्बे ज़ैल हैं:
हज़रत अबू अब्दुल्लाह, हज़रत इमाम जाफर सादिक़, हज़रत अब्दुल्लाह, हज़रत इब्राहीम, हज़रत अब्दुल्लाह, हज़रत अली, हज़रत ज़ैनब रदियल्लाहु तआला अलैहिम अजमईन|
आपके मलफ़ूज़ात :- ह्ज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु ने अपने साहबज़ादे इमाम जफ़र सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु को खिलाफत अता फ़रमाई और इरशाद फ़रमाया के ऐ बेटे जब अल्लाह तआला तुझे कोई नेमत दे तो इस पर “अल्हम्दुलिल्लाह” कहो और जब कोई सदमा पहुंचे तो उस वक़्त “लाहौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्ला हिल अली इल अज़ीम” पढ़ो और जब रिज़्क़ में तंगी हो तो “अस्तग़्फ़िरुल्लाह” पढ़ो |
वक़्ते विसाल :- ह्ज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं की में अपने वालिद माजिद के पास था विसाल के वक़्त आपने ग़ुस्ल व कफ़न व दफन और दुखूले क़ब्र के मुतअल्लिक़ चंद रोज़ पहले वसीयत की | मेने कहा ऐ वालिद बुज़ुरग्वार वल्लाह आप जब से बीमार हुए हैं मेने आज से बेहतर हातल में किसी दिन नहीं देखा और में फिल वक़्त मौत का कोई असर आप पर नहीं देखता हूँ आप ने फ़रमाया के ऐ मेरे बेटे तूने ह्ज़रत अली बिन हुसैन को नहीं सुना वो इस दिवार के पीछे से मुझे पुकारते हैं के ऐ मुहम्मद जल्दी कर |
Read this also नबी सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम से मोहब्बत
कफ़न व ग़ुस्ल :- आपने ह्ज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु से वसीयत की थी के में जिस कपड़े में नमाज़ पढता हूँ इसी का मुझे कफ़न दिया जाए | चुनाचे ह्ज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ रदियल्लाहु अन्हु ने ग़ुस्ल दिया और हस्बे वसीयत इसी कपड़े का आपको कफ़न दिया गया |
विसाले पुरमलाल व मज़ारे पुर अनवार :- ह्ज़रत इमाम मुहम्मद बाक़र रदियल्लाहु अन्हु की तारीखे विसाल में इख्तिलाफ है मशहूर क़ौल के मुताबिक़ आपका विसाले मुबारक सातवीं 7
ज़िल्हिज्जा 114 हिजरी में पीर के दिन 57 साल की उमर में सल्तनत हिशाम बिन अब्दुल मालिक उमवि के वक़्त में हुआ | आपका मज़ारे मुक़द्दस मदीना मुनव्वरा ज़ादाहल्लाहु शरफऊं व तअज़ीमा के आम क़ब्रिस्तान “जन्नतुल बाक़ी” में है जिसको अब नजदी हुकूमत ने तोड़ दिया लेकिन जन्नतुल बाक़ी में क़ब्रों के निशान आज भी मैजूद हैं | अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की उन पर बेहिसाब रहमत हो और उनके सदक़े हमारी मगफिरत हो |
मआख़िज़ व मराजे (रेफरेन्स) :- जामिउल मनाक़िब , तशरीफुल बशर, कशफ़ुल महजूब, शवाहि दुन नुबुव्वत,मसालिकुस सलीक़ीन, तज़किराए मशाइखे, क़ादिरिया,रोज़ुर रियाहीन, हिलयतुल औलिया व तबक़ातुल असफिया बनाम, अल्लाह वालों की बातें,
Share Zarur Karein – JazakAllah
Read this also – सुल्तानुल हिन्द ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की हालाते ज़िंदगी और आपकी करामात