जन्नती दरवाज़ा रोज़ादार के लिए :- बेशक जन्नत में एक दरवाज़ा है जिसको रय्यान कहा जाता है, इससे क़यामत के दिन रोज़ादार दाखिल होंगें उनके अलावा कोई और दाखिल न होगा | कहा जाएगा रोज़ेदार कहाँ हैं? पस ये लोग खड़े होंगे उनके अलावा कोई और इस दरवाज़े से दाखिल न होगा जब ये दाखिल हो जाएंगे तो दरवाज़ा बंद कर दिया जाएगा फिर कोई इस दरवाज़े से दाखिल न होगा | (बुखारी जिल्द अव्वल)

साबिक़ा गुनाहों का कफ़्फ़ारा :- जिसने रमजान का रोज़ा रखा और उसकी हुदूद को पहचाना और जिस चीज़ से बचना चाहिए उससे बचा तो जो कुछ गुनाह पहले कर चुका है उसका कफ़्फ़ारा हो गया |

जहन्नम से 70 साल दूर :- जिसने अल्लाह तआला की राह में एक दिन का रोज़ा रख अल्लाह तआला उसके चेहरे को जहन्नम से 70 साल दूर कर देगा | (बुखारी जिल्द दो)

एक रोज़े की फ़ज़ीलत :- जिसने एक दिन का रोज़ा अल्लाह तआला की रज़ा हासिल करने केलिए रखा अल्लाह तआला उसे जहन्नम से इतना दूर करदेगा जितना के एक कव्वा जो अपने बचपन से उड़ना शुरू करे यहाँ तक के बूढ़ा होकर मर जाए | (मुसनद अबू याला)

सुर्ख याक़ूत का माकन :- जिसने माहे रमजान का एक रोज़ा भी ख़ामोशी और सुकून से रखा उसके लिए जन्नत में एक घर सब्ज़ जबर्ज़द या सुर्ख याक़ूत का बनाएगा | (मोजम औसत)

जिस्म की ज़कात :- हर चीज़ केलिए ज़कात है और जिस्म की ज़कात रोज़ा है और रोज़ा आधा सब्र है | रोज़ेदार का सोना भी इबादत है और उसकी ख़ामोशी तस्बीह करना और उसकी दुआ क़बूल और उसका अमल मक़बूल | (इब्ने माजा, शोअबूल ईमान)

जिस्म के आज़ा का तस्बीह करना :- जो बंदह रोज़े की हालत में सुबूह करता है, उस केलिए आसमान के दरवाज़े खोल दिए जाते हैं और उसके आज़ा तस्बीह करते हैं और असमाने दुनिया पर रहने वाले फरिश्ते उसके लिए सूरज डूबने तक मगफिरत की दुआ करते रहते हैं अगर वो एक दो रकअतें पढता है तो ये आसमानो में उस केलिए नूर बन जाती हैं और हूरे ऐन यानि बड़ी आँखों वाली हूरें उसकी बीवियां कहती हैं ए अल्लाह तआला इसको हमारे पास भेज दे हम इसके दीदार की बहुत ज़्यादा मुश्ताक़ हैं और गर वो लाइलाहा इल्लल्लाहो या सुब्हान अल्लाहि या अल्लाह हुअक्बर पढता है तो 70 हज़ार फ़रिश्ते उसका सवाब सूरज डूबने तक लिखते रहते हैं |

जन्नती फल :- जिसको रोज़े ने खाने पीने से रोक दिया के जिसकी उसे ख्वाइश थी तो अल्लाह तआला उसे जन्नती फलों मेसे ख़िलाएगा और जन्नती शराब सैराब करेगा |

सोने का दस्तर ख्वान :- क़यामत वाले दिन रोज़ादारों केलिए एक सोने का दस्तर ख्वान रखा जाएगा जिससे वो खाएंगे हालांके लोग हिसाबो किताब के मुन्तज़िर होंगें | (कंज़ुल उम्माल)

बेहिसाब अज्र :- हज़रते सय्यदना काअब बुल एहबर रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं बरोज़े क़यामत एक मुनादी यानि आवाज़ देने वाला इस तरह निदा करेगा आवाज़ देगा हर बोने वाले यानि अमल करने वाले को उसकी खेती यानि अमल के बराबर अज्र दिया जाएगा सिवाए क़ुरआन वालों यानि आलिमे क़ुरआन और रोज़ादारों के उन्हें बेहद बेहिसाब अज्र दिया जाएगा | (शोअबूल ईमान)

एक रोज़ा छोड़ने का नुकसान :- हज़रते सय्यदना अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के सरकार वाला तिबार बा इज़्ने परवरदिगार दो जहाँ के मालिकों मुख़्तार सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है जिसने रमजान का एक दिन का रोज़ा बगैर रुखसत व बगैर मर्ज़ इफ्तार किया यानि न रखा तो ज़माने भर का रोज़ा भी उसकी क़ज़ा नहीं हो सकता अगरचे बाद में रखले | (तिर्मिज़ी) यानि वो फ़ज़ीलत जो रमज़ानुल मुबारक में रोज़ा रखने की थी अब किसी तरह नहीं पा सकता | (बहारे शरीअत)

उलटे लटके हुए लोग :- जो लोग रोज़ा रख कर बगैर किसी सही मजबूरी के तोड़ डालते हैं वो अल्लाह तआला के क़हरो गज़ब से खूब डरें | जैसा के हज़रत सय्यदना अबू उमामा बाहिली रदियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं, मेने सरकार मदीना, साहिबे मुअत्तर पसीना सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को ये फरमाते सुना में सोया हुआ था तो ख्वाब में दो शख्स मेरे पास आए और मुझे एक दुशवार गुज़ार पहाड़ पर लेगए जब में पहाड़ के दरमियानी हिस्से पर पहुंचा तो वहां बड़ी सख्त आवाज़ें आ रहीं थीं मेने कहा ये कैसी आवाज़ें हैं तो मुझे बताया गया के ये जहन्नमियों की आवाज़ें हैं फिर मुझे और आगे ले जाया गया तो में कुछ ऐसे लोगों के पास से गुज़रा के उनको तखनो की रगों में बांध कर उल्टा लटकाया गया था और उन लोगों के जबड़े फाड़ दिए गए थे जिनसे खून बह रहा था तो मेने पूछा ये कौन लोग हैं? तो मुझे बताया गया के ये लोग रोज़ा इफ्तार करते थे क़ब्ल इसके के रोज़ा इफ्तार करना हलाल हुआ |

प्यारे इस्लामी भाइयों :- रमजान का रोज़ा बिला इजाज़त शरई तोड़ देना बहुत बड़ा गुनाह है वक़्त से पहले इफ्तार करने से मुराद ये है के रोज़ा तो रख लिया के मगर सूरज ग़ुरूब होने से पहले पहले जान बूझकर किसी सही मजबूरी के बगैर तोड़ डाला इस हदीसे पाक में जो अज़ाब बयान क्या गया वो रोज़ा रखकर तोड़ देने वाले केलिए और जो बिला उज़्र शरई रोज़ा रमज़ान तर्क कर देता है वो भी सख्त अज़ाब का हक़दार और अज़ाबे नार का हक़दार है | अल्लाह तआला अपने प्यारे हबीब सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के तुफैल हमें अपने क़हरो गज़ब से बचाए |

तीन बद बख्त :- हज़रत सय्यदना जाबिर बिन अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है के ताजदारे मदीना मुनव्वरा, सुल्ताने मक्का मुकर्रमा सलल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाने बा करीना है: जिसने माहे रमज़ान को पाया और उसके रोज़े न रखे तो वो शख्स शक़ी यानि बद बख्त है जिसने अपने वालिद या किसी एक को पाया और उनके साथ अच्छा सुलूक न किया वो भी शक़ी यानि बद बख्त है और जिसके पास मेरा ज़िक्र है हुआ और उसने मुझ पर दुरूद न पढ़ा वो भी शक़ी यानि बद बख्त है | (मोजम औसत)

नाक मिटटी में मिल जाए :- हज़रते सय्यदना अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से मरवी है के रसूलुल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया: उस शख्स की नाक मिटटी में मिल जाए के जिसके पास मेरा ज़िक्र क्या गया तो उसने मेरे ऊपर दुरूद नहीं पढ़ा और उस शख्स की नाक मिटटी में मिल जाए जिस पर रमज़ान का महीना दाखिल हुआ फिर उसकी मगफिरत होने से पहले गुज़र गया और उस आदमी की नाक मिटटी में मिल जाए के जिस के पास उसके वालिदैन ने बुढ़ापे को पालिया और उसके वालिदैन ने उसको जन्नत में दाखिल नहीं किया यानि बूढ़े माँ बाप की खिदमत करके जन्नत हासिल न कर सका | (मुसनदे अहमद)

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