“सिद्दीक़े अकबर का इसमें गिरामी”

आप के नाम के बारे में तीन क़ौल हैं, पहला क़ौल अब्दुल्लाह बिन उस्मान :- आप रदियल्लाहु अन्हु का नाम “अब्दुल्लाह बिन उस्मान” चुनाचे हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदियल्लाहु अन्हु अपने वालिद से रिवायत करते हैं के हज़रत सय्यदना अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु का नाम “अब्दुल्लाह बिन उस्मान” है,

दूसरा क़ौल अब्दुल काबा :- जमहूर अहले नसब के नज़दीक आप का क़दीम (पुराना) नाम “अब्दुल काबा” था मुशर्रफ बा इस्लाम होने के बाद अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के प्यारे हबीब रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तब्दील (बदलना) फरमा कर “अब्दुल” रख दिया,
आप रदियल्लाहु अन्हु के घर वालों ने “अब्दुल काबा” नाम बदल कर के अब्दुल रख दिया और आप की वालिदा माजिदा जब दुआ करतीं तो इस तरह कहतीं “ए अब्दुल काबा के रब”

तीसरा क़ौल अतीक :- अक्सर मुहद्दिसीन के नज़दीक आप का नाम अतीक है इमाम इबने इस्हाक़ रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के अतीक हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु का नाम है और ये उनका नाम उनके के वालिद ने रखा, जब के हज़रत सय्यदना मूसा बिन तल्हा रहमतुल्लाह अलैह से मरवी है के ये नाम आप की वालिदा ने रखा, (अररियाज़ुन नज़रा)

इन तमाम अक़वाल में मुताबिक़त :- इन तीन अक़वाल में कोई तज़ाद नहीं (टकराओ) नहीं मुताबिक़त की सूरत ये है के जब आप पैदा हुए तो आप के वालिदैन ने आप का नाम अब्दुल काबा रखा, बाद में उन्होंने रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बदल कर अब्दुल्लाह रख दिया और अतीक आप का लक़ब था लेकिन उसे नाम की हैसियत हासिल हो गई,

आप की कुन्नियत :- आप की कुन्नियत अबू बक्र है, वाज़ेह रहे के आप अपने नाम से नहीं बल्कि कुन्नियत से मशहूर हैं, नीज़ आप की इस कुन्नियत की इतनी शुहरत है के अवामुन नास इसे आप का असली नाम समझते हैं हालांके आप का नाम “अब्दुल्लाह” है,

अबू बक्र कुन्नियत की वुजुहात :- अरबी ज़बान में “अल बक्र” जवान ऊँट को कहते हैं, इस की जमा “अबकर और बिकार” है, जिस के पास ऊंटों की कसरत हो या जिस का क़बीला बड़ा होता या जो ऊंटों की देख भाल और दूसरे मुआमलात में बहुत माहिर होता अरब के लोग उसे अबू बक्र कहते थे, चूंकि आप का क़बीला भी बहुत बड़ा था और बहुत मालदार भी थे नीज़ ऊंटों के तमाम मुआमलात में भी आप महारत रखते थे इस लिए आप भी “अबू बक्र” के नाम से मशहूर हुए,
अरबी ज़बान में अबू का माना है “वाला” और “बक्र” का माना “अव्वलियत” के हैं, तो अबू बक्र के माना हुए “अव्वलियत वाला” चूंकि आप रदियल्लाहु अन्हु इस्लाम लाने, माल खर्च करने, जान लुटाने हिजरत करने, हुज़ूर की वफ़ात के बाद वफ़ात क़यामत के दिन क़ब्र खुलने वगैरह मुआमले में अव्वलियत रखते हैं, इस लिए आप को अबू बकर यानि अव्वलियत वाला कहा गया,
आप की कुन्नियत अबू बक्र इस लिए है के आप शुरू ही से ख़साइले हमीदा यानि अच्छी आदतें रखते थे, (सीरते हल्बीया)

सिद्दीक़े अकबर के अल्काबात :- आप रदियल्लाहु अन्हु के दो लक़ब ज़्यादा मशहूर हैं “सिद्दीक और अतीक” नीज़ अतीक वो पहला लक़ब है के इस्लाम में सब से पहले इस लक़ब से आप को ही नवाज़ा गया आप से पहले किसी को इस लक़ब से मुलक्कब नहीं किया गया,

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हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु को अतीक क्यों कहा जाता है?

जहन्नम की आज़ादी की वजह से अतीक :- हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु का नाम “अब्दुल्लाह” था रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उन्हें फ़रमाया: तुम जहन्नम से आज़ाद हो, तभी से आप का नाम अतीक हो गया, (सही इबने हिब्बान)
हज़रते सय्यदा आएशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत है फरमाती हैं: में एक दिन अपने घर में थीं, रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम और सहाबए किराम अलैहिमुर रिज़वान सेहन में तशरीफ़ फरमा थे, मेरे और उनके माबैन चार पाई रखी थी, अचानक मेरे वालिद गिरामी हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु तशरीफ़ ले आये तो रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनकी तरफ देख कर आपने असहाब से इरशाद फ़रमाया: जिसे दोज़ख से आज़ाद शख्स देखना हो वो अबू बक्र को देख ले, उस के बाद से आप अतीक मशहूर हो गए, (अल मोजमुल औसत, मारफतिस सहाबा)

हुसनो जमाल की वजह से अतीक :- हज़रत सय्यदना लैस बिन सअद, हज़रत सय्यदना इमाम अहमद बिन हमंबल अल्लामा इबने मुईन और दूसरे कई उलमा रहमतुल्लाहि तआला अलैहम अजमईन फरमाते हैं के आप को चेहरे के हुसनो जमाल के सबब अतीक कहा जाता है, इमाम तबरानी रहीमहुल्लाह ने हज़रत सय्यदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं के आप रदियल्लाहु अन्हु को चेहरे के हुसनो जमाल के सबब अतीक कहा जाता था, (अल मोजमुल औसत, तारीख़ुल खुलफ़ा)

भलाई में सब से आगे :- अल्लामा अबू नईम बिन दकीन रहीमहुल्लाह फरमाते हैं: ख़ैर व खूबी में सब से पहले और दुसरे लोगों से मुक़द्दम होने की वजह से आप को अतीक कहा जाता है, (अररियाज़ुन नज़रा तारीख़ुल खुलफ़ा)

नसब की पाकीज़गी की वजह से अतीक :- हज़रत सय्यदना ज़ुबैर बिन बुकार रहमतुल्लाह अलैह और उनके साथ पूरी एक जमाअत ने बयान किया है के हसब व नसब की पाकीज़गी की वजह से आप को अतीक कहा जाता है आप के नसब में कोई ऐसी कमज़ोरी नहीं थी जिस की वजह से आप की ऐब जोई (तलाश करना) की जाती, (तारीख़ुल खुलफ़ा)

वालिद के नाम रखने की वजह से अतीक :- पहले आप का नाम अतीक रखा गया और बाद में आप को अब्दुल्लाह कहा जाने लगा, हज़रत सय्यदना अब्दुर रहमान बिन क़ासिम रदियल्लाहु अन्हु अपने वालिद से रिवायत करते हैं के उन्होंने हज़रते सय्यदा आएशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से पूछा: आप के वालिद अबू बक्र का किया नाम है? उन्होंने कहा “अब्दुल्लाह” अर्ज़ किया: लोग तो आप को अतीक कहते हैं? फ़रमाया मेरे दादा अबू कहाफा के तीन बच्चे थे आप ने उनके नाम अतीक, मुईतक, और मुआतक रखे, (अल मोजमुल कबीर)

माँ की दुआ की वजह से अतीक :- हज़रत सय्यदना अबू तल्हा रदियल्लाहु अन्हु से पूछा गया के: हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु को अतीक क्यों कहा जाता है? तो आप ने फ़रमाया: आप की वालिदा का कोई बच्चा ज़िंदा नहीं रहता था, जब आप की वालिदा ने आप को जनम दिया तो आप को लेकर बैतुल्लाह शरीफ चली गयीं और रोरो कर यूं दुआ मांगी: ए अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अगर ये मेरा बेटा मोत से आज़ाद है तो मुझे आता फरमा दे, तो इस के बाद आप को अतीक कहा जाने लगा, (तारीख़ुल खुलफ़ा, मारफतिस सहाबा)

गलबाए नाम के सबब अतीक :- हज़रते सय्यदा आएशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत है के अबू बकर सिद्दीक का जो नाम आप के घर वालों ने रखा वो अब्दुल्लाह बिन उस्मान है लेकिन इस पर अतीक नाम ग़ालिब आ गया, (मारफतिस सहाबा)

आसमानो ज़मीन में अतीक :- रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया के अबू बक्र आसमान में भी अतीक हैं और ज़मीन में भी अतीक हैं, (मुसनदुल फिरदोस)

गुलाम अज़ादा करने की वजह से अतीक :- हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु निहायत ही शफ़ीक़ और महिर्बान थे, हज़रत सय्यदना बिलाले हब्शी रदियल्लाहु अन्हु को उन के आक़ा के ज़ुल्मो सितम और दूसरे कई मुसलमानो को कुफ्फार के ज़ुल्मो सितम से आज़ाद कर वाया तो अतीक नाम से मशहूर हो गए, (मिरातुल मानजीह)

इन तमाम अक़वाल में मुताबिक़त :- आप के लक़ब अतीक के बारे में जितने भी अक़वाल ज़िक्र किए गए इन तमाम में कोई तज़ाद नहीं के हो सकता है आप के वालिदैन ने आप को लक़ब अतीक से किसी एक माने में भी और किसी दूसरे माने में पुकारा हो, फिर क़ुरैश में वही इस्तेमाल हो गया हो और फिर ये इतना मशहूर हो गया के इस्लाम से पहले भी और बाद में भी बाक़ी रहा, लिहाज़ा मुख्तलिफ माने के एतिबार से तमाम का आप को अतीक पुकारना दुरुस्त हुआ, (अररियाज़ुन नज़रा)

हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु को “सिद्दीक़” क्यों कहा जाता है? :- हज़रते सय्यदा नबआ हब्शिया रदियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं: मेने रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को फरमाते हुए सुना: ए अबू बक्र बेशक अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने तुम्हारा नाम “सिद्दीक़” रखा, (अल इसाबाह फि तमीज़ुज़सहाबा)

रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के नज़दीक “सिद्दीक़” :- हज़रत सय्यदना सईद बिन ज़ैद रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत फरमाते हैं, में नो अफ़राद (लोग) की गवाही देता हूँ के वो जन्नती हैं और अगर में दसवें शख्स की भी गवाही दूँ तो में गुनाहगार नहीं हूँगा, पूछा गया वो कैसे? फ़रमाया हम रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ जबले हिरा पर गए तो अचानक वो लरज़ने लगा,
रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फ़रमाया ए जबले हिरा ठहरजा के इस वक़्त तुझ पर एक नबी, एक सिद्दीक और दो शहीद खड़े हैं, हज़रत सय्यदना सईद बिन ज़ैद रदियल्लाहु अन्हु से पूछा गया के उस वक़्त पहाड़ पर कौन थे? फ़रमाया: रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़, सय्यदना उस्माने गनी, सय्यदना अली, सय्यदना तल्हा, सय्यदना ज़ुबैर, सय्यदना सअद बिन अबी वक़्क़ास, सय्यदना अब्दुर रहमान बिन ओफ़ रिदवानुल्लाही तआला अलैहिम अजमईन, फिर हज़रत सय्यदना सईद बिन ज़ैद रदियल्लाहु अन्हु खामोश हो गए, पूछा गया: ये तो नो लोग हैं दसवें कौन हैं? फ़रमाया “में” (तिर्मिज़ी शरीफ)

हज़रत सय्यदना जिब्राइल अलैहिस्सलाम के नज़दीक “अबू बकर सिद्दीक” :- हज़रत सय्यदना अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के जब अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के मेहबूब रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मेराज की रात सय्यदना जिब्राइल अलैहिस्सलाम से इरशाद फ़रमाया: ए जिब्रील मेरी क़ौम मुझ पर तुहमत लगाए गी और वो मेरी तस्दीक नहीं करेगी सय्यदना जिब्रील अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ की: अगर आप की कौम आप पर तुहमत लगाए गी तो क्या हुआ अबू बक्र तो आप की तस्दीक करेंगें क्यूंकि वो “सिद्दीक” हैं, (अल मोजमुल औसत तबरानी)

ज़बाने जिब्रील से सिद्दीक :- हज़रत सय्यदना नज़ाल बिन सबरा रदियल्लाहु अन्हु से रियावत है फरमाते हैं के हम लोग हज़रत सय्यदना अली कर्रामल्लाहु तआला वज हहुल करीम के साथ खड़े थे और वो खुश तबई फरमा रहे थे, हमने उन से अर्ज़ किया अपने दोस्तों के बारे में कुछ इरशाद फरमाइए? फ़रमाया: रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के तमाम असहाब मेरे दोस्त हैं, हमने अर्ज़ की: हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के बारे में बताएं? फ़रमाया: उनके तो क्या कहने ये तो वो शख्सियत हैं, जिनका नाम अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने जिब्रीले अमीन ने और प्यारे आक़ा रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़बान से “सिद्दीक” रखा, (अल मुसतदरक सहीहैन)

ज़मानाए जाहिलियत से ही “सिद्दीक” :- आप को ज़मानाए जाहिलियत से ही सिद्दीक पुकारा जाता था, क्यूंकि आप हमेशा सच बोलते थे सच के सिवा आप के मुँह से कुछ नहीं निकलता था, ज़हूरे इस्लाम से पहले आप का शुमार क़ुरैश के बड़े सरदारों में होता था, और आप लोगों की दियतें भी अदा कर देते थे,
यानि अगर कोई गलती से किसी को क़त्ल कर देता तो उसकी तरफ से खून बहा आप अदा कर देते थे, अगर वो गरीब होता तो तब भी क़ुरैश आप की बात को अहमियत देते और दीत क़बूल कर लेते और क़ातिल को छोड़ देते और अगर आप के अलावा कोई दूसरा दीत की ज़िम्मेदारी लेता तो हरगिज़ क़बूल न करते और उसकी कोई अहमियत न होती लोग आप की बात की तस्दीक करते थे, इस लिए आप ज़मानाए जाहिलियत से ही सिद्दीक के लक़ब से मशहूर थे,

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मेराज की तस्दीक़ की वजह से सिद्दीक :- उम्मुल मोमिनीन हज़रते सय्यदा आएशा सिद्दीक़ा रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत है, फरमाती हैं, जब रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक़्सा की सैर कराइ गई तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दूसरी सुबह लोगों के सामने इस मुकम्मल वाक़िए को बयान फ़रमाया: मुशरिकीन वगैरा दौड़ते हुए हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के पास पहुंचे और कहने लगे क्या आप इस बात की तस्दीक़ कर सकते हैं,
जो आप के दोस्त ने कही है के उन्होंने रातो रात मस्जिदे हराम से मस्जिदे अक़्सा की सेर की? आप ने फ़रमाया: क्या आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये वाक़ई ये बयान फ़रमाया है? उन्होंने कहा जी हाँ, आप ने फ़रमाया अगर आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये इरशाद फ़रमाया है तो यक़ीनन सच फ़रमाया है और में इस बात की बिला झिझक तस्दीक़ करता हूँ, उन्होंने कहा:
क्या आप इस हैरान करने वाली बात की भी तस्दीक़ करते हैं के वो आज रात बैतुल मुक़द्दस गए, और सुबह होने से पहले वापस भी आगए? आप ने फ़रमाया:
जी हाँ तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की आसमानी ख़बरों की भी सुबहो शाम तस्दीक करता हूँ और यक़ीनन वो तो इस बात से भी ज़्यादा हैरान कुन और तअज्जुब वाली बात है, पस इस वाक़िए के बाद आप रदियल्लाहु अन्हु “सिद्दीक़” मशहूर हो गए, (अल मुसतदरक सहीहैन)

सिद्दीक लक़ब आसमान से उतारा गया :- हज़रत सय्यदना अबू याहया हकीम बिन सअद रदियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं के मेने अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना अली कर्रामल्लाहु तआला वजहहुल करीम को अल्लाह पाक की क़सम उठा कर कहते हुए सुना के सय्यदना अबू बक्र रदियल्लाहु अन्हु का लक़ब “सिद्दीक” आसमान से उतारा गया, (अल मोजमुल कबीर)

हर आसमान पर “सिद्दीक” लिखा था :- हज़रत सय्यदना अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं के रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया: शबे मेराज मेने हर आसमान पर अपना नाम यूं लिखा हुआ देखा: मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं और अबू बक्र सिद्दीक मेरे खलीफा हैं, (कंज़ुल उम्माल)

जो आप को “सिद्दीक” न कहे? :- हज़रत सय्यदना उरवा बिन अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के मेने हज़रत सय्यदना इमाम बाक़र अबू जाफर मुहम्मद बिन अली बिन हुसैन रदियल्लाहु अन्हु की खिदमत में हाज़िर हुआ और उन से पूछा क्या: तलवार को आरास्ता करने के बारे में आप क्या फरमाते हैं? फ़रमाया: इस में कोई हर्ज नहीं क्यों के खुद हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने भी अपनी तलवार को आरास्ता किया, मेने कहा: आपने उन्हें सिद्दीक कहा? ये सुन्ना था के आप जलाल फरमाते हुए उठ खड़े हुए और क़िब्ले की तरफ मुँह कर के इरशाद फ़रमाया: हाँ वो सिद्दीक हैं! वो सिद्दीक हैं! वो सिद्दीक हैं, और जो उन्हें सिद्दीक न कहे अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त उसके क़ौल की तस्दीक नहीं फरमाता न दुनिया में और न ही आख़िरत में,

“सादिक़, सिद्दीक, सिद्दीक़ीयत और सिद्दीक़े अकबर”

सादिक किसे कहते हैं? :- सादिक़ का माना है “सच्चा” और सादिक़ ऐसे शख्स को कहते हैं जो बात जैसी हो वैसे ही ज़बान से बयान करदे,

सिद्दीक़े अकबर सादिको हकीम हैं :- शैख़े अकबर हज़रत सय्यदना मुहीयुद्दीन इबने अरबी रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं: अगर हुज़ूर सय्यदे आलम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम इस मोतिन में तशरीफ़ न रखते हों और हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु हाज़िर हों तो रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के मक़ाम पर सिद्दीक क़ायम करेंगें के वहां सिद्दीक से आला कोई नहीं जो इन्हें इससे रोके, जो उस वक़्त के सादिक़ व हकीम हैं और जो उन के सिवा हैं सब उन के ज़ेरे हुक्म,

सिद्दीक किसे कहते हैं? :- सिद्दीक उसे कहते हैं जो ज़बान से कही हुई बात को दिल और अपने अमल से मुअक्किद यानि ताकीद करना मज़बूत कर देना,
हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु को सिद्दीक इसी लिए कहते हैं के आप सिर्फ ज़बान के नहीं दिलो अमल के भी सिद्दीक थे,
सिद्दीक़ उसे भी कहते हैं के जो तस्दीक करने में मुबालगा करे, जब उस के सामने कोई चीज़ बयान की जाए तो अव्वल ही उस की तस्दीक कर दे, हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु भी ऐसे ही थे के शुरू ही में रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की हर बात की तस्दीक करते थे,
हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी रहमतुल्लाह अलैह इरशाद फरमाते हैं, “सिद्दीक वो के जैसा वो कह दे बात वैसी हो जाए, इसी लिए तो हज़रत सय्यदना युसूफ अलैहिस्सलाम के साथ जो दो क़ैदी थे उनमे से शाही शाकि यानि बादशाह को शराब पिलाने वाले ने आप को सिद्दीक कहा क्यूंकि उसने देखा के जो आप ने कहा था वही हुआ, और अर्ज़ किया: हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने सय्यदना मालिक बिन सनान रदियल्लाहु अन्हु के मुतअल्लिक़ जो कहा था वही हुआ के वो शहीद होने के बाद ज़िंदा हो कर आए, (मिरातुल मनाजीह)

सिद्दीक़ अकबर किसे कहते हैं? :- आप रदियल्लाहु अन्हु ने हर मुआमले में सदाक़त का अमली मुज़ाहिरा फ़रमाया हत्ता के वाक़िए मेराज और आसमानी ख़बरों वगैरा जैसे मुआमलात के जिन को उस वक़्त किसी की अक़्ल ने तस्लीम नहीं किया उन में भी आप रदियल्लाहु अन्हु ने फ़ौरन तस्दीक फ़रमाई,
रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की तमाम मुआमलात में जैसी तस्दीक आप रदियल्लाहु अन्हु ने की वैसी किसी ने नहीं की इस लिए आप रदियल्लाहु अन्हु को “सिद्दीक़े अकबर” कहा जाता है,
आला हज़रत अज़ीमुल बरकत मुजद्दिदे दिनों मिल्लत परवानए शमए रिसालत हज़रत अल्लामा मौलाना अश्शाह इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह फतावा रज़विया, जिल्द 15, में इरशाद फरमाते हैं सय्यदना अबूबक़र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु सिद्दीक़े अकबर है और सय्यदना अली मुर्तज़ा शेरे खुदा रदियल्लाहु अन्हु सिद्दीक़े असगर सिद्दीक़े अकबर का मक़ाम आला सिद्दिकियत से बुलंदो बाला है “नसीमुर रियाज़ शरह शिफा इमाम क़ाज़ी अयाज़ में है”
सय्यदना अबू बक़र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु की तखसीस इसलिए के वो सिद्दीक़े अकबर है जो तमाम लोगो में आगे है क्योंकि उन्होंने जो रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की तस्दीक की वो किसी को हासिल नहीं और यूँही अली मुर्तज़ा शेरे खुदा रदियल्लाहु अन्हु का नाम सिद्दीक़े असगर है जो हरगिज़ कुफ्र से मुल्तबिस न हुए और न ही उन्होंने अल्लाह तआला के अलावा किसी को सजदा किया जबकि वो न बालिग़ थे | (नसीमुर रियाज़ शरह शिफा)

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लक़ब हलीम (बुर्द बार)

सिद्दीक़े अकबर आसमानो में हलीम :- हज़रत सय्यदना अबू हुरैरा रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के एक बार सय्यदना जिब्रीले अमीन अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के मेहबूब रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की बारगाह में हाज़िर हुए और एक कोने में बैठ गए, काफी देर तक वहीँ बैठे रहे अचानक वहां हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु गुज़रे तो जिब्रील अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया: या रसूलल्लाह सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ये अबू कहफा के बेटे हैं, आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया ए जिब्रील क्या आप भी इन्हें पहचानते हो? आप ने अर्ज़ किया उस रब की कसम जिसने आप को मबऊस फ़रमाया है अबू बक्र ज़मीन की निस्बत आसमानो में ज़्यादा मशहूर हैं और आसमानो में उन का नाम “हलीम” है, (अर रियाज़ुन नज़र)

आप का एक लक़ब अव्वाहुन भी है :- हज़रत सय्यदना अबू बकर सिद्दीक रदियल्लाहु अन्हु निहायत आजिज़ी करने वाले और कसीरूद दुआ
थे, आप से कई ख़ास दुआएं भी मन्क़ूल हैं, हज़रत सय्यदना इब्राहीम नखई रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं के आप की इन्ही सिफ़त की बिना पर आप का लक़ब “अव्वाहुन” कसीरूद दुआ आजिज़ी करने वाला पड़ गया, (इज़ालतुल खफ़ा अन ख़िलाफ़तिल खुलफ़ा)

हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु की पैदाइश :- आप रदियल्लाहु अन्हु आमुल फील के ढाई साल बाद और रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश के दो साल और चन्द माह बाद पैदा हुए,
आप रदियल्लाहु अन्हु छेह महीने शिकमे मादर (माँ के पेट में) रहे और दो साल तक अपनी वालिदा का दूध पिया,
(अल इसाबाह फि तमीज़ुज़सहाबा)

आप की जाए परवरिश और दूसरे मुआमलात :- आप रदियल्लाहु अन्हु की परवरिश मक्का शरीफ में हुई, आप सिर्फ तिजारत की गरज़ (मकसद) से बाहर तशरीफ़ ले जाते थे, अपनी कौम में बड़े मालदार बा मुरव्वत, हुसने अख़लाक़ के मालिक और निहायत ही इज़्ज़तों शरफ़ वाले थे, (उस्दुल गाबा)

सिद्दीक़े अकबर के मुबारक तीन घर :-

  1. मक्का मुकर्रमा ज़ादा हल्ल्लाहु शरफऊं व ताज़ीमा में हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु का एक घर मोहल्ला “मुस्फिला” में था, जिस में वो दो मुबारक पथ्थर लगे हुए हैं जिन्होंने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के महबूब रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को ऐलाने नुबुव्वत से पहले सलाम किया, वाज़ेह रहे के हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने मक्की ज़िन्दगी इसी मुबारक मकान में बसर की,
  2. मदीना मुनव्वरा ज़ादा हल्ल्लाहु शरफऊं व ताज़ीमा में आप रदियल्लाहु अन्हु के दो घर थे, एक घर मस्जिदे नबवी से मिला हुआ था जिसकी खिकड़ी मस्जिदे नबवी के अंदर खुलती थी और इसी खिड़की के मुतअल्लिक़ रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आखरी उमर में इरशाद फ़रमाया के अबू बक्र की खिड़की के सिवा तमाम खिड़कियां बंद कर दो,
  3. दूसरा घर मक़ामे “सुन्ह” में था, रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के विसाले ज़ाहिरी के वक़्त आप इसी घर से काशानए नुबुव्वत पर हाज़िर हुए थे,

सिद्दीक़े अकबर का हुलिया मुबारक

सिद्दीक़े अकबर जिस्मानी ख़द्दो खाल :- हज़रते सय्यदा आएशा सिद्दीका रदियल्लाहु अन्हा से पूछा गया: हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु के जिस्मानी ख़द्दो खाल कैसे थे? फ़रमाया आप का रंग सफ़ेद, जिस्म कमज़ोर और रुखसार कमज़ोर गोश्त वाले थे, कमर की जानिब से तह बंद को मज़बूती से बांधा करते थे ताके लटकने से महफूज़ रहे, आप के चेहराए अक़दस की रगें वाज़ेह नज़र आती थीं, इसी तरह हथेलियों की पिछली रगें भी साफ़ नज़र आती थीं,

गंदुमी रंग और काम गोश्त वाले :- हज़रत सय्यदना कैस बिन अबी हाज़िम रदियल्लाहु अन्हु में अपने वालिद के साथ हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु की मरज़े मौत में उनकी इयादत के लिए हाज़िर हुआ, मेने देखा आप गंदुमी रंग और काम गोश्त वाले हैं,

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दाढ़ी में ख़िज़ाब का इस्तेमाल :- हज़रते सय्यदा आएशा सिद्दीका रदियल्लाहु अन्हा से रिवायत है के मेरे वालिद मुहतरम हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु मेंहदी और कतम का ख़िज़ाब इस्तेमाल फरमाते थे,

रेशे मुबारक यानि दाढ़ी में सफ़ेद बाल :- हज़रत सय्यदना अनस बिन मालिक रदियल्लाहु अन्हु से रिवायत है फरमाते हैं जब रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम मदीना मुनव्वरा ज़ादा हल्ल्लाहु शरफऊं व ताज़ीमा तशरीफ़ लाए तो आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के असहाब में सिर्फ हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ऐसे थे जिनकी रेशे मुबारक यानि दाढ़ी में सफ़ेद बाल भी थे इस लिए आप मेंहदी और कतम इस्तेमाल फरमाते थे,

“कतम” किसे कहते हैं? :- आला हज़रत अज़ीमुल बरकत मुजद्दिदे दिनों मिल्लत इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह फतावा रज़विया शरीफ में शैख़ अब्दुल हक़ मुहद्दिसे देहलवी रहमतुल्लाह अलैह के हवाले से इरशाद फरमाते हैं सही तौर पर ये बात हम तक पहुंची है के अमीरुल मोमिनीन हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने मेंहदी और कतम से ख़िज़ाब इस्तेमाल किया, कतम एक घास का नाम है जिस का रंग काला नहीं बल्कि सुर्ख लाल बा सिहाई होता है,

हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु का बचपन :- “मलफ़ूज़ाते आला हज़रत” मे है: हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने कभी बुत को सजदा न किया, कुछ बरस की उमर में आप के वालिद बुत खाने में ले गए और कहा “ये हैं तुम्हारे बुलंदो बाला खुदा इन्हें सजदा करो” फिर इन्हें अकेला छोड़ कर चले गए, जब आप के सामने तशरीफ़ ले गए तो फ़रमाया “में भूका हूँ मुझे खाना दे, में नग्गा हूँ मुझे कपड़ा दे, में पथ्थर मरता हूँ अगर तू खुदा है अपने आप को बचा” वो बुत भला क्या जवाब देता,
आप ने एक पथ्थर उसके मारा जिस के लगते ही वो गिर पड़ा और क़ुव्वते खुदा दाद की ताब न लाते हुए टुकड़े टुकड़े हो गया, बाप ने ये हालत देखि उन्हें गुस्सा आया, और वहां से आप की माँ के पास लाए और पूरा वाक़िया बयान किया,
माँ ने कहा इसे इसके हाल पर छोड़ दो जब ये पैदा हुआ था तो गैब से आवाज़ आयी थी के ये अल्लाह पाक की सच्ची बंदी तुझे ख़ुश ख़बरी हो ये बच्चा अतीक है आसमानो में इस का नाम सिद्दीक है रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम का साहिब और रफ़ीक़ है, ये रिवायत हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने खुद मजलिसे अक़दस में बयान की जब ये बयान कर चुके, हज़रत सय्यदना जिब्रील अलैहिस्सलाम हाज़िर हर और अर्ज़ की अबू बकर ने सच कहा और वो सिद्दीक हैं और तीन बार यही अलफ़ाज़ दुहराए, (मलफ़ूज़ाते आला हज़रत, इर्शादुस सारी)

“हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु की जवानी का ज़माना ज़मानाए जाहिलियत की ज़िन्दगी”

अज़मतो शराफत :- अल्लामा अबू ज़करिया यहया बिन शरफ़ नववि रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हैं आप का शुमार (गिनती) ज़मानाए जाहिलियत में बड़े बड़े रईस क़ुरैश में था और दूसरे सरदार आप से मुख्तलिफ उमूर में मशवरे किया करते थे, आप रदियल्लाहु अन्हु उनके अच्छे बुरे तमाम मुआमलात को अच्छी तरह जानते थे जब इस्लाम का पैगाम मिला तो इस्लाम को दुनिया पर तरजीह दी और सिर्फ इस्लाम के लिए अपनी ज़िन्दगी को वक़्फ़ कर दिया, (उस्दुल गाबा)

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ज़मानाए जाहिलियत व इस्लाम दोनों की मुसल्लामा शख्सियत :- हज़रत सय्यदना मारूफ बिन खरबूज़ रहमतुल्लाह अलैह से रियावत है के हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु का शुमार क़ुरैश के उन दस माया नाज़ लोगों में होता है जिनकी शराफत ज़मानाए जाहिलियत और ज़मानाए इस्लाम दोनों में तस्लीम की जाती हैं ज़मानाए जाहिलियत में आप के पास लोग फैसला करवाने के लिए अपने मुक़दमो को लाया करते थे,
क्यूंकि उस वक़्त कोई इंसाफ पसंद बादशाह नहीं था जिस के पास वो अपने तमाम मुआमलात को पेश करते, इस लिए हर क़बीले में उस के रईस और शरीफ शख्स को उस की विलायत हासिल होती थी लिहाज़ा लोग अपने फैसले करवाने के लिए आप ही की खिदमत में हाज़िर होते, (तारीखे मदीना दमिश्क)

“सिद्दीक़े अकबर का कारोबार”

कपड़े की तिजारत :- मक्का के छोटे बड़े तमाम क़बीलों से तअल्लुक़ रखने वाले लोग तिजारत करते थे हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु जब जवान हुए तो आप ने भी कपड़े की तिजारत शुरू की और अपने आला अख़लाक़, साफ़ गुफ्तुगू, ज़बान की सच्चाई और ईमानदारी से आप ने बहुत ही नफ़ा हासिल किया और थोड़े ही अरसे में आप का शुमार मक्का के मारूफ ताजिरों (बिजनिसमैन) में होने लगा,

सिद्दीक़े अकबर का मुल्के शाम (जिस को आज सीरिया कहा जाता है) तक तिजारत का सफर :- रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम के अहदे मुबारक में हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने तिजारत के लिए मुल्के शाम के शहर बसरा का सफर इख़्तियार फ़रमाया, रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम की रिफ़ाक़त और आप सलल्लाहु अलैहि वसल्लम से गहरी वाबस्तगी की शदीद तड़प के बावजूद आप ने इस तिजारती सफर को अहमियत दी और खुद रसूले करीम सलल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु से शदीद मुहब्बत के बावजूद आप को ये सफर करने से माना न फ़रमाया, (फ़तेह हुलबारी)

रिज़्क़े हलाल की अहमियत :- प्यारे इस्लामी भाइयों इस सफर तिजारत से इस बात की अहमियत वाज़ेह होती है के मुस्लमान के लिए हलाल ज़रिए से इतना रिज़्क़ कमाना ज़रूरी है जिसकी बिना पर उसे लोगों के सामने हाथ फ़ैलाने की नौबत न आये,
“बहारे शरीअत जिल्द दो में है” इतना कमाना फ़र्ज़ है जो अपने अहलो अयाल (बाल बच्चों) के लिए और जिनका नफ़्क़ा इस के ज़िम्मे वाजिब है उनके नफके के लिए और अदाए देन (क़र्ज़) के लिए किफ़ायत कर सके उस के बाद उसे इख़्तियार है के इतने ही पर बस करे या अपने अहलो अयाल के लिए कुछ बाक़ी रखने की भी कोशिश करे,
माँ बाप मुहताज व तंग दस्त हों तो फ़र्ज़ है के कमा कर उन्हें ज़रुरत के मुताबिक दे, (फतावाए हिंदिया)

रिज़्क़े हलाल के मुतअल्लिक़ तीन अहादीस :-

  1. उस खाने से कोई बेहतर खाना नहीं जिस को किसी ने अपने हाथों से काम कर के हासिल किया है और बेशक अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के नबी हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम अपने हाथ से कमा कर खाते थे,
  2. हलाल कमाई की तलाश भी फ़राइज़ के बाद एक फ़रीज़ा है,
  3. तमाम कमाईयों में ज़्यादा पाकीज़ा उन ताजिरों की कमाई है के जब वो बात करें झूट न बोलें और जब उन के पास अमानत रखी जाए खयानत न करें और जब वादा करें उस का खिलाफ न करें और जब किसी चीज़ को खरीदें तो उसकी मज़म्मत (बुराई) न करें और जब अपनी चीज़ें बेचें तो उनकी तारीफ में मुबालगा न करें और उन पर किसी का आता हो तो देने में टाल मटोल न करें और जब उन पर किसी का आता हो तो तो सख्ती न करें,

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ताजिर (बिजनिस मेन) हो तो अबू बक्र सिद्दीक जैसा :- प्यारे इस्लामी भाइयों! हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु एक ताजिर पेशा और कारोबारी आदमी थे, कारोबारी लोग उमूमन बात चीत में मुहतात होते हैं वो कोई भी ऐसी बात ज़बान से नहीं निकालते जो उनके तअल्लुक़ात पर मंफी (निगेटिव) असर पड़े, न तो वो किसी के मज़हब व अक़ीदे में दखल देते हैं और न ही किसी के अमल व हरकत के बारे में कोई बात करने की ज़रुरत महसूस करते हैं ये लोग मस्लिहत और आफ़ियत को पसंद करते हैं,
तमाम मुआमलात अपनी आँखों से देखते हैं मगर अपनी कारोबारी मजबूरियों की वजह से चुप्पी साध लेते हैं किसी से कुछ नहीं कहते बल्के अक्सरियत के ज़ज़्बात की तर्जुमानी करते और उनकी राए को सही बताते हैं,
लेकिन हज़रत सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु की फितरत आम कारोबारी लोगों की फितरत की तरह नहीं थी, उन्होंने इस्लाम क़बूल करते ही इस्लाम का फ़ौरन इज़हार कर दिया बल्के इस्लाम की तबलीगो इशाअत को अपना पहला फ़र्ज़ समझ कर अपने दूसरे भाइयों को इस्लाम के फवाइद से आगाह करना शुरू कर दिया,
चुनाचे जिस दिन इस्लाम लाए उसी दिन हज़रत सय्यदना उस्मान बिन अफ्फान, हज़रत सय्यदना तल्हा, हज़रत सय्यदना ज़ुबैर, हज़रत सय्यदना सअद बिन अबी वक़्क़ास रदियल्लाहु तआला अन्हुम, को इस्लाम की दावत पेश करने के बाद उन्हें इस्लाम में दाखिल कर लिया और दूसरे दिन हज़रत सय्यदना उस्मान बिन मज़ऊन, हज़रत सय्यदना अबू उबैदा बिन जर राह, हज़रत सय्यदना अब्दुर रहमान बिन ओफ़, हज़रत सय्यदना अबू सलमा और हज़रत सय्यदना अरक़म बिन अबिल अरक़म रदियल्लाहु तआला अन्हुम को भी दाखिले इस्लाम कर लिया,
गोया सय्यदना अबू बक्र सिद्दीक़ रदियल्लाहु अन्हु ने जैसे ही इस्लाम क़बूल किया आप को दुनियावी तिजारत से ज़्यादा इस दीनी तिजारत में नफ़ा नज़र आया लिहाज़ा आप ने दुनियावी तिजारत की तरह इस दीनी तिजारत में भी अपने क़रीबी दोस्तों को शरीक करना शुरू कर दिया ताके वो भी ज़्यादा से ज़्यादा नफ़ा कमाएं, “वाक़ई ताजिर हो तो आप जैसा” (तारीखे मदीना दमिश्क)

मआख़िज़ व मराजे (रेफरेन्स) :-  तारीखे मदीना दमिश्क, शोआबुल ईमान, सही बुखारी, उस्दुल गाबा, अल इसाबाह फि तमीज़ुज़सहाबा, अल मोजमुल कबीर, तिर्मिज़ी शरीफ, अर रियाज़ुन नज़र, अल मोजमुल औसत, मारफतिस सहाबा, सीरते हल्बीया, मुसनदुल फिरदोस, मिरातुल मानजीह, तारीख़ुल खुलफ़ा, सही इबने हिब्बान, नसीमुर रियाज़ शरह शिफा, खुलफाए राशिदीन, अल मोजमुल औसत, मारफतिस सहाबा,

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